‘सदानीरा’ के बारे में
‘सदानीरा’ अपने पूर्व स्वरूप यानी जनवरी-मार्च 2013 से जनवरी-मार्च 2017 के दरमियान प्रकाशित 16 अंकों तक ‘विश्व कविता की पत्रिका’ रही है। संस्थापक-संपादक आग्नेय ने विश्व की महत्त्वपूर्ण कविता से हिंदी को परिचित कराने का अपना उद्यम बहुत कम संसाधनों के बीच क़रीब चार वर्षों तक जारी रखा। इसके बाद वह ‘सदानीरा’-29 तक इस पत्रिका के प्रधान संपादक रहे और अविनाश मिश्र संपादक जिन्होंने रिया रागिनी, प्रत्यूष पुष्कर, अंजुम शर्मा, जे सुशील, अंचित और बेबी शॉ जैसे अतिथि संपादक-दोस्तों के साथ मिलकर इस पत्रिका के कुछ विशेष अंक निकाले हैं। 26 अगस्त 2023 को आग्नेय के देहांत के बाद से ‘सदानीरा’ अपनी आगे की उपस्थिति पर नए सिरे से सोचती रहती है, लेकिन ‘सदानीरा’ अब भी प्रथमतः और अंततः कविता और अनुवाद से संबद्ध परिसर ही है। विश्व और अखिल भारतीय कविता की नई और ज़रूरी आवाज़ें यहाँ सुनाई दें, हिंदी गद्य और कलाओं की नई करवटें यहाँ नज़र आएँ; इस प्रकार के प्रयत्न ‘सदानीरा’ का संघर्ष हैं। हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता के रूढ़ और सिद्ध अध्याय के आगे के कुछ पृष्ठ रच-खुल सकें, ‘सदानीरा’ की यह आकांक्षा है। ‘सदानीरा’ सब प्रकार की प्रगतिशील दृष्टियों और रचनाधर्मिता का स्वागत करती है।

आग्नेय
संस्थापक-संपादक, सदानीरा
आग्नेय [1935-2023] हिंदी के समादृत कवि हैं। ‘पहचान सीरीज’ में प्रकाशित ‘अपने ही ख़िलाफ़’ और ‘मेरे बाद मेरा घर’, ‘लौटता हूँ उस तक’, ‘सिरहाने मीर के’ उनकी कविताओं की कुछ चर्चित किताबें हैं। वह ‘साक्षात्कार’ सहित कई पत्रिकाओं के संपादक रहे हैं और एक अनुवादक के रूप में भी उन्होंने उल्लेखनीय काम किया है। ‘रक्त की वर्णमाला’ और ‘उत्खनन’ इस सिलसिले में उनकी स्मरणीय पुस्तकें हैं। संभावना प्रकाशन से प्रकाशित ‘एक दिन का जीवन’ (कविताएँ, डायरी, नोटबुक) उनकी नवीनतम पुस्तक है।

अविनाश मिश्र
संपादक, सदानीरा
अविनाश मिश्र [जन्म : 1986] कविता, कथा, आलोचना, संपादन और पत्रकारिता में सक्रिय हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में कविता-संग्रह ‘अज्ञातवास की कविताएँ’ (2017), उपन्यास ‘नये शेखर की जीवनी’ (2018), कविता-संग्रह ‘चौंसठ सूत्र सोलह अभिमान : कामसूत्र से प्रेरित’ (2019), उपन्यास ‘वर्षावास’ (2022) और आलोचना-विधा में ‘नवाँ दशक’ (2024) शामिल हैं। ‘वक़्त ज़रूरत’ (कविता-संग्रह) उनकी नवीनतम पुस्तक है।