कविताएँ :: प्रेमा झा
Posts tagged स्त्री विमर्श
उम्मीद करने में कुछ भी ख़र्च नहीं होता
कोलेट के कुछ उद्धरण :: अनुवाद : सरिता शर्मा
मैं अभ्यस्त हूँ इन तमाम कामों की
कविताएँ :: अंकिता शाम्भवी
हे देव, मुझे घने जंगल की नागरिकता दो!
कविताएँ :: जोशना बैनर्जी आडवानी
अनंत की ओर क़दम
हेलेन केलर के कुछ उद्धरण :: अनुवाद : भवानी प्रसाद मिश्र
वहाँ जाओ, जहाँ जाने से डरते हो
हेलेन सिक्सु के कुछ उद्धरण :: अनुवाद : सरिता शर्मा