मंगेश नारायणराव काले की लंबी कविता के अंश :: मराठी से अनुवाद : सुनीता डागा
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मेरा शऊर मेरा जहन्नुम है
नज़्में :: विनीत राजा
मेरे लबों को तुम्हारे ख़ूँ की तलब लगी है
नज़्में :: कायनात
अभिलाषा क्या है? पूछ रहे हो, सुनो!
प्रमोद सर की कविताएँ :: ओड़िया से अनुवाद : सुजाता शिवेन
मैंने उर्दू को आक़ कर दिया
नज़्में :: तसनीफ़ हैदर
गिद्ध की प्रेयसी बनकर
मनीषा जोषी की कविताएँ :: गुजराती से अनुवाद : सावजराज