कविताएँ :: मनीषा जोषी
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विश्वविद्यालयों में प्रोफ़ेसर अब मुश्किल से ही बचे थे
कविताएँ :: प्रीति चौधरी
मेरा मानना है कि मेरी माँ मोम की बनी है
कविताएँ :: शाम्भवी तिवारी
केवल देवी बनकर जीवित रहना संभव नहीं इस संसार में
कविताएँ :: बेबी शॉ
संताप का एक महीन रेशा कुलबुलाता है मेरी साँसों में
कविताएँ :: अदीबा ख़ानम
आँसुओं से समुद्रों की परिधि बढ़ रही है
कविताएँ :: आनंद बलराम