‘धूल की जगह’ पढ़ने के दरमियान :: अमन त्रिपाठी
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निहारे जाने का मतलब है उपभोग किया जाना
मार्गरेट एटवुड के उपन्यास ‘द हैंडमेड्स टेल’ का एक अंश :: अनुवाद और प्रस्तुति : यादवेंद्र
निभृत प्राणों के देवता
‘गीतांजलि’ पर :: शंख घोष बांग्ला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी
मैं ‘यूनिवर्सिटी कल्चर’ का हिस्सा क्यों नहीं बनना चाहता
नस्र :: तसनीफ़ हैदर
49 वर्षों बाद… कवि हावियर हिरॉद का आखिरी शब्द!
पाठ :: अर्मान्दो ओरोजको तोवार अनुवाद : पल्लवी प्रसाद
‘पहले सीख लूं एक सामाजिक भाषा में रोना’
‘धूल की जगह’ पर कुछ स्ट्रोक्स :: सुधांशु फ़िरदौस