ग्राफिक गल्प ::
प्रमोद सिंह
मेलंकलियाँ
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प्रमोद सिंह सिनेमा और साहित्य से संबद्ध हैं. उनकी एक किताब ‘अजाने मेलों में’ शीर्षक से साल 2014 में सामने आई थी, जिसका ज़िक्र अब हिंदी के सीमित संसार में एक असाधारण पुस्तक के रूप में होता है. उनकी दूसरी किताब का इंतज़ार जिन्हें है, है… उन्हें है, ऐसा नहीं लगता है. वह मुंबई में रहते हैं. उनसे indiaroad@gmail.com पर बात की जा सकती है. यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के 19वें अंक में पूर्व-प्रकाशित.
बेहद कलात्मक,डिजिटल साहित्य में एक नई पहल,,हिंदी साहित्य में अभिरुच लोगों तक ऐसी कृतियों को जरूर पहुंचना चाहिए।