कवितावार में एडगर एलन पो की कविता ::
अनुवाद : सरिता शर्मा
एकाकी
मैं बचपन से नहीं हूं
औरों जैसा — मेरा नजरिया नहीं रहा
दूसरे की तरह —
न ही मुझे आवेग मिले
समान सोते से, मेरे दु:खों का
उद्गम था सबसे अलग
मेरे हृदय में नहीं जागा
आनंद समान धुनों से—
और जिनसे भी मैंने प्यार किया, अकेले मैंने प्यार किया
फिर — मेरे बचपन में —
प्रचण्ड जीवन की भोर में — मैंने पाया
हर अच्छाई और बुराई की गहराई से
एक रहस्य जो अब भी जकड़ता है मुझे — झाड़ी या फव्वारे से —
पर्वत की लाल चोटी से —
सूरज से जिसने मुझे लपेटा
अपने सुनहरे रंग की शरद आभा में —
आकाश में उड़ती — पास से
गुजरती बिजली से
गरज और तूफान से —
और उस बादल से जिसने रूप धरा
(बाकी स्वर्ग का रंग नीला था जब)
मेरे विचार से दानव का —
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एडगर ऐलन पो का जन्म बोस्टन में 19 जनवरी 1809 को हुआ. वह अपनी रहस्यमय और भयावह कहानियों के लिए संसार भर में प्रसिद्ध हैं. उन्होंने जासूसी कहानियों की शुरुआत की और वैज्ञानिक कथाओं की शैली को भी बढ़ावा दिया. पो की कविता ‘द रेवन’ बहुत प्रसिद्ध है. उनकी शैली को ‘गोथिक’ कहा जाता है. उन्होंने अपनी रचनाओं में मृत्यु, मृत्यु के चिह्न, मृत्योपरांत जीवन और शोक इत्यादि विषयों पर लिखा है. उन्होंने अपनी खुद की पत्रिका ‘द पेन’ प्रकाशित करने की तैयारी शुरू की, लेकिन इसके प्रकाशित होने से पहले ही 7 अक्टूबर 1849 को उनकी मृत्यु हो गई. यहां प्रस्तुत कविता हिंदी अनुवाद के लिए doctorhugo.org से ली गई है. सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं. उनसे sarita12aug@hotmail.com पर बात की जा सकती है.