कवितावार में वास्को पापा की कविता ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त
कविता-पाठ कोलतार बिछानेवालों के लिए
स्वागत कॉमरेड कवि
कब सुना सकेंगे हमें अपनी कविताएँ
काम ख़त्म होने के बाद चलेगा
काम के बाद
लोग थके होते हैं
हड़बड़ी होती है उन्हें
अपने घर पहुँचने की
सनीचर कैसा रहेगा
सनीचर को लोग काम निपटाते हैं
धोना, सीना करते हैं
और चिट्ठियाँ लिखते हैं घर
इतवार को चलेगा
इतवार को लोग घरों से निकलते हैं
जवान अपनी छोकरियों से मिलने
बुज़ुर्ग स्टेशनों को
अपनी रेलों का इंतज़ार करने के लिए
तो वक़्त नहीं है आपके पास
कविता के लिए
वक़्त नहीं है हमारे पास
देख ही रहे हो तुम
तो भी निकालेंगे मिलके
अपन-तुपन
वास्को पोपा (1922-1991) समादृत सर्बियन कवि हैं। सोमदत्त हिंदी के सुपरिचित कवि-अनुवादक हैं। यहाँ प्रस्तुत कविता जनवरी-मार्च 1989 के ‘साक्षात्कार’ के विश्व कविता अंक से ली गई है।