कविताएँ :: मनीषा जोषी
Posts tagged स्त्री विमर्श
इन पगडंडियों का अकेलापन सभ्यताओं का अकेलापन है
कविताएँ :: पूजा जिनागल
‘बाबुल की दुआएँ लेती जा…’ जैसे गीत बेटियों को मूर्ख बनाने के लिए लिखे गए
कविताएँ :: यशस्वी पाठक
अंतहीन यात्रा के सहयात्री
कविताएँ :: सोनी पांडेय
खिड़की से देखती रही दुनिया, खिड़की भर ही देख पाई
कविताएँ :: अनुपम सिंह
कभी-कभी अपने दुःख ख़ुद चुने मैंने
कविताएँ :: अदिति शर्मा