मैं यहाँ खड़ा हूँ, क्या तुम समझते हो in कविताएँ कवितावार विश्व कविता on जनवरी 1, 2023 जनवरी 1, 2023 ऊलाव हाउगे की कविता :: अनुवाद : रुस्तम सिंह