फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद की कविताएँ :: अनुवाद : उपासना झा
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प्यास से जन्मी ‘मैं’ का पहला और अंतिम स्वप्न पानी था
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प्रेम और मोह को समझने की इच्छा से
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सरलतम सुख की खोज ही सबसे दुःसाध्य है
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