भुवनेश्वर के कुछ उद्धरण ::
Posts tagged स्त्री विमर्श
थाम लो ज़िद का दामन
फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद की कविताएँ :: अनुवाद और प्रस्तुति : सरिता शर्मा
मेरे लबों को तुम्हारे ख़ूँ की तलब लगी है
नज़्में :: कायनात
उड़ जाएगा वसंत भी
कविताएँ :: पारुल पुखराज
मैं चाहती हूँ, मेरे उरोज तुम्हें उत्तेजित कर दें
जॉयस मन्सूर की कविताएँ :: अनुवाद और प्रस्तुति : अखिलेश सिंह
जैसे गिरती है अंतरिक्ष से कोई मन्नत
कविताएँ और तस्वीरें :: गार्गी मिश्र