तारा पटेल की कविताएँ :: अँग्रेज़ी से अनुवाद और प्रस्तुति : रंजना मिश्र
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हट जाए परिचित निर्वासन
प्रमिता भौमिक की कविताएँ :: बांग्ला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी
यह तय है कि इक नौहागर हूँ मैं
बेजान मातुर की कविताएँ :: तुर्की से अनुवाद : निशांत कौशिक
जहाँ बीहड़ अब भी ज़िंदा हैं
कविताएँ :: विजया सिंह
दुःख की घाटी में, पंख फैलाओ
सुजान सौन्टैग के कुछ उद्धरण :: अनुवाद : सरिता शर्मा
विमर्श और यथार्थ में स्त्री
कविताएँ :: अनुराधा अनन्या