कविताएँ :: अंशू कुमार
Posts tagged स्त्री विमर्श
सिर रख लो इस आवाज़ की खटिया में बिछा लो अपनी नींद यहाँ
कविताएँ :: पूर्वांशी
दर्पण को छूकर वह अपनी देह का आचमन करना चाहती है
कविताएँ :: कंचन जायसवाल
अगर तुम जीना चाहते हो तो तुम्हें पहले अपने अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहिए
कैथरीन मैन्सफ़ील्ड के उद्धरण :: अँग्रेज़ी से अनुवाद : सरिता शर्मा
मैं चाहता हूँ हर चीज़ का विकल्प होना, मैं चाहता हूँ जल्दी ही निर्विकल्प होना
कविताएँ :: देवी प्रसाद मिश्र
औरत, कुछ करो कि एक दुनिया इंतिज़ार कर रही है
फ़रोग़ फ़ारुख़ज़ाद की कविताएँ :: अनुवाद : उपासना झा