कवितावार में जितेंद्र कुमार की कविता ::
वह सब जो छूट गया
कविताएं :: उपांशु
लोकतंत्र में आख्यान की रणनीति
‘न्यूटन’ पर :: स्मृति सुमन
आजादी, जिसे मैंने कभी देखा ही नहीं
एक किताब, एक कवि और चार कविताएं :: अनुवाद और प्रस्तुति : अशोक पांडे
‘कोई गीत था तो यहीं था’
‘धूल की जगह’ पढ़ने के दरमियान :: अमन त्रिपाठी
कविता विस्तार है और वह घाव छोड़ जाती है
आलेहांद्रा पिज़ारनीक की कविताएं :: अनुवाद : रीनू तलवाड़