मार्गरेट एटवुड के उपन्यास ‘द हैंडमेड्स टेल’ का एक अंश :: अनुवाद और प्रस्तुति : यादवेंद्र
मेरी निर्भरता
कवितावार में रवींद्रनाथ टैगोर की कविता :: अनुवाद : सरिता शर्मा
सिर्फ उन्हीं को जलाना जो सूखे हैं और सड़ चुके हैं
कविताएं :: नेहा नरूका
निभृत प्राणों के देवता
‘गीतांजलि’ पर :: शंख घोष बांग्ला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी
या तुम ही हो यह अरण्य रोता हुआ
अरुण कोलटकर की कविताएं :: अनुवाद और प्रस्तुति : प्रतिभा
मैं ‘यूनिवर्सिटी कल्चर’ का हिस्सा क्यों नहीं बनना चाहता
नस्र :: तसनीफ़ हैदर