कविताएँ ::
सोमेश शुक्ल

सोमेश शुक्ल

एक

किसी चीज़ पर एकाधिकार से आशय है कि वह अपनी संपूर्णता में आपको आत्महत्या का सुझाव देती है।

दो

पता न होना कि जाना है
मुझे धक्का देता है।

तीन

फूल की स्मृति में
फूल की गंध सबसे पहले उड़ जाती है
फिर फूल का रंग गलता है
और फिर आकार

अंत में फूल की सिर्फ़ स्मृति रह जाती है।

चार

मुझे याद है कि मैंने जीवन में हर चीज़ तब छोड़ी, ठीक उस ऐन वक़्त पर जब वह मेरी होने ही वाली थी।

‘मुझे यह चाहिए, मुझे वह चाहिए…’ कहने में कितना खोखला लगता है, लेकिन देखो ‘मुझे कुछ नहीं चाहिए’ कहने में मैं पूरा लगा जा रहा हूँ।

पाँच

मैं देखना चाहता हूँ, पर दिखता हुआ मेरी दृष्टि में बाधा बन जाता है।

छह

मेरे जीवन को धन्यवाद मान लो—
उस सबके लिए जो मैं नहीं हूँ।

सात

हर चीज़ जाने के लिए पहले आती है
लेकिन दु:ख आने से पहले ही आ जाते हैं
और चले जाने के बाद भी
रुके रह जाते हैं।

आठ

जिसके जाने को कोई देखने वाला न हो
उसे नहीं पता होता कि दूर तक चले जाना
और छोटा होकर ग़ायब हो जाना कैसा होता है

ऐसा आदमी सिर्फ़ आने के अर्थ में जीने लगता है
वह अपनी मृत्यु तक भी सिर्फ़ पहुँच जाने के ही रास्ते जानता है।

नौ

देखने पर
दिखने की बारिश झरती है
दूर-दूर तक मैं सोचता हूँ कि जो चीज़ें
भीगने से बच जाती हैं
कैसे सूखती होंगी?

दस

कहानियों में प्रत्येक पंक्ति एक गाँठ की तरह होती है,
मैं कहानी पढ़ने से पहले उसकी सारी गाँठे खोल देता हूँ।

ग्यारह

जब सोचता हूँ कि वह थी
वह अच्छी थी
क्यूँकि वह उस लिए थी
और फिर उसमें जुड़ने लगता है उसका कितना कुछ

जैसे समय को रोक कर पीछे करने पर
पत्ते ज़मीन से उठ पेड़ से जुड़ने लगते हैं

किसी को याद करना उसकी उलटी गिनती करना है।

बारह

मैं अपने ईश्वर को हाथ आई हर चीज़ से रगड़ता हूँ
जब तक कि कोई एक पूरी तरह न घिस जाए।

तेरह

लेटना भी खड़े रहना ही है
मैं रात भर अपनी पीठ के बल खड़ा रहता हूँ।

चौदह

मेरा संसार इतना बड़ा है कि इससे कोई चीज़ बाहर नहीं जा सकती,
किसी चीज़ को खो देना असल में अपने आपसे उसे चुरा लेना है।

पंद्रह

मैं एक कभी न ख़त्म होने वाली कहानी का अंत हूँ।

सोमेश शुक्ल हिंदी कवि-कलाकार हैं। उनकी रचनाएँ हिंदी-दृश्य में अब तक बेहद कम उजागर हुई हैं। हिंदी-दृश्य में अर्थ-निर्धारण की जो पद्धतियाँ सक्रिय हैं, उनमें नवीनार्थ बहुत विलंब से पहचाने जाते हैं। इस स्थिति में सोमेश का रचना-कर्म रूढ़ के निषेध में है। उनसे और परिचय तथा ‘सदानीरा’ पर इससे पूर्व प्रकाशित उनकी कविताओं के लिए यहाँ देखें : कुछ ऐसे रहस्य हैं, जिन पर कोई परदा नहींथोड़े समय से बच गए अनंत समय में

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