कविताएँ ::
मानसी गोस्वामी

मानसी गोस्वामी

एक कविता

तथ्यों से भरी
एक कविता लग सकती है
विचारवादी लेखक को
सुंदर और प्रिय

सत्य से सराबोर
एक कविता
नहीं आती रास
राजनीतिक और प्रासंगिक लोगों को

भूख से भरी
एक कविता
सिर्फ़ समझ सकता है
जेठ की भरी दुपहरी में
काम करता मज़दूर

प्रेम की
एक कविता
लिख सकती है वह औरत
जिसका जीवन प्रेम से सदैव रिक्त रहा

एक अच्छी कविता
हो सकती है साकार
जब वह अपने सही ठिकाने पर
बिना कोशिश किए पहुँच जाए।

सिद्धांत

समय और दूरी का अनुक्रमानुपाती होना
मुझे भौतिकी की कक्षा में पढ़ाया गया था

उसे पढ़कर मैंने
भौतिकी का सिद्धांत जाना

तुम्हें जानकर मैंने पाया
कि जब समय कम था
तब बहुत कम दूरी थी
हमारे बीच
जैसे-जैसे समय बढ़ा
दूरियाँ भी बढ़ीं

और मैंने भौतिकी का
एक और सिद्धांत
जीवन में सिद्ध होते देखा।

गमन

मैं दिल्ली में मार्च देख रही हूँ
शरद और ग्रीष्म ऋतु का मिलन
हवाओं में हल्की ठंडक के साथ
किसी के होने की गरमाहट भी है
बोगनवेलिया खिला हुआ है
चारों तरफ़ फैले हैं उसी के रंग
हर जगह बिखरे पड़े हैं
सेमल और पलाश के फूल
समेटे जाने के लिए
और अपने आप में अधूरी है
उनकी गरमाहट और ठंडक

मैं अपने कमरे में बैठी
सोच रही हूँ
इस अधूरेपन के बारे में
सोच रही हूँ कि
खिलकर भी
पूर्णता का अभाव बना ही रहता है
क्योंकि खिलना आख़िरी सीढ़ी नहीं है
ये पहला क़दम है
पतझड़ की ओर

तुमसे मिलना
पतझड़ से पूर्व आए
बोगनवेलिया, सेमल और पलाश के
फूलों का रंग है
जो तुम्हारे जाने के बाद
पतझड़ बन
कई संभावनाओं का आधार भी बन जाता है
जो किसी भी रूप में
मेरे सामने आ सकता है


मानसी गोस्वामी की कविताओं के प्रकाशन का यह प्राथमिक अवसर है। उनकी पढ़ाई लेडी श्रीराम कॉलेज से हुई है। उनसे mansisiyah@gmail.com पर बात की जा सकती है।

प्रतिक्रिया दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *