कविताएँ ::
सोनू यादव
प्रेम-पत्र
मैंने भेजा था तुम्हें प्रेम
ढेर सारा
और तुमने
वापस भेज दिया उसे
पता है तुम्हें?
तुम्हारे प्रेमरहित स्पर्श ने
बदल दिया है रंग
मेरे प्रेम का
वैसे ही जैसे
पतझड़ का स्पर्श
बदल देता है रंग
ढेर सारी पत्तियों का
क्या तुम्हारा प्रेम भी आएगा
वैसे ही
जैसे आता है
वसंत!
जाति के परे की दुनिया
मैंने एक फूल
अपने हाथ में लेते हुए
उसे सिर्फ़ फूल कहा
क्योंकि मैं नहीं जानता था
उसका पूरा नाम
सभी फूलों की तरह
वह भी मुलायम और सुगंधित था
मैं एक व्यक्ति से मिला
जिसका पूरा नाम नहीं जानता था
वह भी नहीं जानता था
मेरा पूरा नाम
इस तरह शुरू हुई एक नई दुनिया…
सोनू यादव की कविताएँ विधिवत् कहीं प्रकाशित होने का यह प्राथमिक अवसर है। वह इलाहाबाद के निवासी हैं और वर्तमान में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी (आगरा) में अध्ययनरत हैं। रंगकर्म में भी सक्रिय हैं। उनसे finesonu0011@gmail.com पर बात की जा सकती है।
सोनू ने अच्छी शुरूआत की है. उनके कथ्य में विस्तृत दृष्टि है. बहुत सुन्दर👌
अच्छी कविताओं के साथ सुरुआत