तस्वीरें और गद्य ::
पद्मजा गुनगुन

पद्मजा गुनगुन | क्लिक : प्रमोद पाठक

यहाँ छह तस्वीरें हैं। एक के साथ रंग हैं, बाक़ी ब्लैक एंड व्हाइट हैं। इनमें से कुछ जब आईं तब थोड़ी धूप थी—ज़्यादा नहीं। मैं इनका आसमान देखती रही हूँ, और इनकी ज़मीन भी। एक तरफ़ से कबूतर आते और चले जाते। दूसरी तरफ़ लौटने के बजाय वे कहीं और घूम जा रहे थे। आसमान बहुत सुंदर था। धूप एक तरफ़ से आ रही थी और धीरे-धीरे एक जगह से दूसरी जगह खिसकती जा रही थी, लेकिन आसमान धूप से चमक रहा था :

Padmaja Gungun art work 1मैं बस यूँ ही इधर-उधर देखती रही—बहुत देर तक। शाम हुई, फिर रात, फिर मैं घर आ गई। उस दिन मैंने तस्वीरें नहीं खींचीं। मैं यूँ ही बस दृश्यों में खोयी रही।

मुझे कई बार तस्वीरें बनाना भी अच्छा लगता है, इसलिए कभी-कभी सारा दिन उन्हें बनाती रहती हूँ :

एक बार सूरज ढल रहा था और ख़ूब सारे लोग अपने घर लौट रहे थे :

एक बार मैं दूर से देख रही थी कि ख़ूब सारे घर हैं जो चाँद के पास चमक रहे हैं… और इस तरह एक तस्वीर बनी थी :

Padmaja Gungun art work 6मेरे हाथ में ख़ूब सारी लकीरें हैं, कभी यूँ भी हो सकता है कि मैं इन सबको मिलाकर एक तस्वीर बना लूँ :

Padmaja Gungun art work 3एक रात मुझे सपना आया कि मैं बहुत देर से कुछ तस्वीरें देख रही हूँ—पाँच थीं, शायद। सपने में ही एक दोस्त आया और उसने कहा, ‘‘अरे वाह, दिखाना!’’ मैंने उसे वे पाँचों तस्वीरें दिखाईं। अचानक मुझे लगा कि पाँचों तस्वीरें उड़ रही हैं, लेकिन दोस्त है कि आराम से—बग़ैर उड़े—उन्हें देखे जा रहा है…

Padmaja Gungun art work 5बहरहाल, मुझे तस्वीरें खींचना बहुत अच्छा लगता है। कई बार जब मैं अकेले घूम रही होती हूँ, तब मुझे अपने नज़दीक बहुत कुछ नज़र आता है। यह बहुत कुछ मुझे और मैं इस बहुत कुछ को खींचती रहती हूँ। जैसे सब कुछ का एक वक़्त है, वैसे ही तस्वीरों का भी।

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पद्मजा गुनगुन शब्दों, रंगों और दृश्यों में जो कुछ भी करने की कोशिश कर रही हैं, वह उस नई शुरुआत की तरह है जो एक ही जीवन में बार-बार करनी पड़ती है—ख़ुद को बार-बार खोजने, पाने और व्यक्त करने के लिए। यह कोई अनूठी और अद्भुत बात नहीं है कि जीवन दुर्भाग्य, दुर्घटनाओं और दुविधाओं से भरा हुआ है, लेकिन यह बात सब बार अनूठी और अद्भुत लगती है कि जिजीविषा इसे सब बार शब्दों, रंगों और दृश्यों से भर देती है। पद्मजा इस यत्न में ही सक्रिय हैं। उनके लिए शुभकामनाएँ। वह जयपुर में रहती हैं। उनसे padmaja.gungun@gmail.com पर बात की जा सकती है। 

 

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