कवितावार में व्लादिमीर होलन की कविता ::
अनुवाद : सरिता शर्मा
जब रविवार को बरसात होती है
जब रविवार को बरसात होती है और आप अकेले होते हैं,
दुनिया के खतरे सामने होते हैं, लेकिन कोई चोर नहीं आता है
और न तो शराबी, न ही दुश्मन दरवाजे पर दस्तक देता है
जब रविवार को बरसात होती है और आप परित्यक्त होते हैं,
और शरीर के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते
या आप जी नहीं रहे होते, क्योंकि वह आपके पास है.
जब रविवार को बरसात होती है और आप अपने दम पर हैं,
खुद से बात करने की नहीं सोच रहे हैं,
फिर कोई फरिश्ता है जो जानता है, ऊपर क्या है,
फिर कोई शैतान है जो जानता है, नीचे क्या है.
किताब हाथ में है, कविता लिखी जाने वाली है.
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चेकोस्लोवाकियाई कवि व्लादिमीर होलन (16 सितंबर 1905 – 31 मार्च 1980) की ख्याति उनकी रचनाओं में अमूर्त भाषा और दुनिया के अंधियारे पक्ष को दर्शाने के कारण है. उनके कविता-संकलन ‘ब्रीजिंग’ की समीक्षा करते हुए चेक आलोचक फ्रान्तिसेक जावेर साल्दा ने उनकी तुलना फ्रांसीसी कवि स्टीफेन मलार्मे से की थी. उन्हें 1960 के अंत में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. यहां प्रस्तुत कविता हिंदी अनुवाद के लिए allpoetry.com से ली गई है. सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं. उनसे sarita12aug@hotmail.com पर बात की जा सकती है.