लुइज़ ग्लुक की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रीनू तलवाड़

लुइज़ ग्लुक

सुख की प्रेरक शक्ति

बंद खिड़कियाँ, उगता सूरज
पंछियों की चहचहाहट :
बग़ीचे में ओस की हल्की-सी परत।
और भारी उम्मीद से उपजी असुरक्षा
की भावना अचानक ग़ायब हो जाती है।
हृदय अभी भी सजग है।

और हज़ारों नन्ही आशाएँ उमड़ने लगती हैं,
जो नई नहीं हैं परंतु नव-स्वीकृत हैं।
अनुराग, दोस्तों के साथ भोजन।
और किन्हीं वयस्क कार्यों
का ढंग।

घर स्वच्छ, शांत।
कूड़ा बाहर रख आने की आवश्यकता नहीं।

यह एक साम्राज्य है, कोई काल्पनिक कृत्य नहीं :
और अभी सवेरा है,
पेन्सरेमान की श्वेत कलियाँ खुलती हैं।

क्या यह संभव है कि आख़िर हम पर्याप्त
मोल चुका चुके हैं?
कि बलि देने की अब आवश्यकता नहीं रही,
कि व्यग्रता और आतंक काफ़ी समझे जा चुके हैं?

टेलीफ़ोन की तार पर वेग से दौड़ती एक गिलहरी,
मुँह में रोटी का टुकड़ा लिए है।

और मौसम की वजह से अँधेरा होने में देर है
ताकि लगे कि
यह एक बड़े उपहार का हिस्सा है
जिससे डरने की अब आवश्यकता नहीं रही।

दिन चढ़ रहा है, मगर धीरे-धीरे, एक एकांत
जिससे सहमने की आवश्यकता नहीं, यह बदलाव
हल्का है, स्पष्ट चीन्हा नहीं जाता—

पेन्सरेमान खुलते हैं।
दिन के अंत तक उनके बने रहने की
संभावना है।

द सेवेन एजिज़ (2001) से

प्रातःकालीन प्रार्थना

तुम जानना चाहते हो मैं अपना समय कैसे बिताती हूँ?
निराई करने का ढोंग करती, मैं घर के सामने वाले
बग़ीचे में सैर करती हूँ। तुम्हें पता होना चाहिए कि
मैं कभी बैठ कर निराई नहीं कर रही होती,
नहीं उखाड़ रही होती तिपतिया घास के गुच्छे
क्यारियों से : दरअसल,
मैं साहस तलाशती हूँ, खोजती हूँ सुराग़
कि बदल जाएगा मेरा जीवन, हालाँकि
बहुत वक़्त लगता है, हर गुच्छे में उस चौथे पत्ते
को ढूँढ़ने में, और गर्मियाँ जल्द ही बीत जाने वाली है,
पत्ते पीले पड़ने लगे हैं, हमेशा
बीमार पेड़ पहले जाते हैं, सूखते पेड़ ख़ूब पीले
पड़ते जाते हैं, जबकि कुछ काले पक्षियों के गीत
कर्फ़्यू का एलान करते हैं।
मेरे हाथ देखना चाहते हो तुम?
उतने ही ख़ाली हैं जितने पहले सुर की शुरुआत में।
या आशय हमेशा यही था, आगे बढ़ते रहना
बिना किसी संकेत के।

द वाइल्ड आइरिस (1992) से

एकांत

आज बहुत अँधेरा है, बारिश में
पहाड़ दिखाई नहीं देता। सुनाई देता है केवल बारिश का स्वर, जीवन को जो भूमिगत होने पर विवश करता है।
और बारिश के साथ, पड़ने लगती है ठंड!
आज रात न चाँद दिखाई देगा, न तारे।

रात में हवा तेज़ हुई;
पूरी सुबह वह गेहूँ के खेत पर कोड़े बरसाती रही—
दुपहर में थम गई। मगर तूफ़ान चलता रहा,
सूखे खेतों को पहले भिगोता रहा, फिर डुबो दिया—

धरती अदृश्य हो गई है।
देखने को कुछ नहीं बचा, केवल बारिश ही
अँधेरी खिड़कियों में झलकती है।
यह वह विश्राम-स्थली है, जहाँ कुछ नहीं हिलता—

हम जो थे हम वही वापिस लौटते हैं,
अँधेरे में जीते जानवर
बिना भाषा या दृष्टि के—

कोई सबूत नहीं है कि मैं जीवित हूँ।
केवल है तो यह बारिश, बारिश अंतहीन है।

द विलेज लाइफ़ (2009) से

स्वप्न

मैंने बहुत ही विचित्र स्वप्न देखा। मैंने देखा कि हम दोनों का फिर से विवाह हो गया है।

तुमने बहुत कुछ कहा। तुम कुछ ऐसा कह रहे थे कि यह यथार्थ-सा है।
जब मेरी नींद खुली, मैंने अपनी पुरानी डायरियाँ पढ़नी शुरू कर दीं।

मुझे लगता था तुम्हें डायरियों से नफ़रत है।

मैं उनमें लिखती हूँ जब बहुत दुखी होती हूँ। ख़ैर,
उन सभी बरसों में जब मुझे लगता था हम कितने ख़ुश हैं
मेरे पास कितनी डायरियाँ थीं।

क्या तुम इसके बारे में कभी सोचते हो? क्या तुम्हें नहीं लगा
कि वह एक बहुत बड़ी भूल थी? असल में,
विवाह में आमंत्रित आधे मेहमानों ने यही कहा था।

मैं तुम्हें एक ऐसी बात बताती हूँ, जो आज तक नहीं बताई :
उस रात मैंने वेलियम ली थी।

मैं याद करती रही कैसे हम साथ-साथ टेलेविज़न देखा करते थे,
कैसे मैं तुम्हारी गोद में अपने पैर रख दिया करती थी। उनके ऊपर
हमारी बिल्ली आकर बैठ जाया करती थी। अभी भी क्या वह एक
संतोष-भरा, सुख-भरा दृश्य नहीं लगता? तो
वह कुछ और दिन क्यों नहीं चल सकता था?

क्योंकि वह एक स्वप्न था।

द मेडोलैंड्स (1996) से

लुइज़ ग्लुक (जन्म : 1943) अमेरिकी कवयित्री हैं। उन्हें वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है। रीनू तलवाड़ से परिचय के लिए यहाँ देखें : सब ठीक हो जाएगा

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