रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएँ ::
अनुवाद : अनिमेष मुखर्जी
एक
गर्मी के दिनों में एक कोयल मेरी खिड़की पर आई, कूकी और उड़ गई।
और तभी, पतझड़ के पीले बेसुरे पत्ते आह भरते हुए टूट चले।
दो
तुमने कहाँ ख़ुद को देखा है, जो दिखाई देता है; वह तुम्हारी परछाई भर है।
तीन
हम खड़खड़ाती पत्तियाँ हैं; हमारी आवाज़ इन आँधियों को जवाब देती हैं, तुम कौन हो जो इस आँधी में इतना ख़ामोश हो?
मैं, बस एक फूल हूँ।
चार
सुनो न, अपनी सुंदरता को किसी की प्रेम भरी आँखों में देखो, अपने दर्पण की चाटुकारिता में नहीं।
पाँच
सितारों को यह डर नहीं होता कि जुगनू उनकी तरह दिखते हैं।
छह
तुम्हारी प्रतिमा खंडित होकर धूल में मिल गई। यह बताने के लिए कि उसकी बनाई धूल भी तुम्हारी प्रतिमा से बेहतर है।
सात
फुदकती गौरैया
यह सोचकर उदास है
कि मोर की दुम पर
कितना बोझ है।
आठ
दोष भात के स्वाद में नहीं
तुम्हारी भूख के न होने में है।
नौ
ज्यों-ज्यों प्रेम खोता गया
जीवन समृद्ध होता गया।
प्रश्न
भगवान,
तुम भले ही इस दयाहीन संसार में
हर युग में अपने दूत भेजते रहे।
जो कहते रहे कि सबको क्षमा करो,
सबसे प्रेम करो और विद्वेष का नाश करो।
मैंने रात के अँधेरे में
किसी निःसहाय के साथ
हिंसा और कपट होते देखा है।
मैंने प्रतिकारहीन पर शक्ति के अपराध होते देखे हैं।
मैंने विचारों की वाणी को अकेले रोते देखा है।
मैंने उन्माद में छूटते तरुण बालकों भी देखा है
और उन्हें यंत्रणा भरे रास्ते पर
सिर कटाकर गिरते हुए भी देखा है।
अमावस की इस काली रात में
न मेरे गले में आवाज़ बाक़ी है
न बंसी में कोई स्वर बाक़ी है
मेरी दुनिया दुःस्वप्नों में डूबी है।
तो मैं कातर आँखों से तुमसे प्रश्न करता हूँ
जिन्होंने तुम्हारी इस हवा को विषाक्त किया
जिन्होंने तुम्हारी इस लौ को बुझाया
क्या तुम उनको क्षमा कर पाए
या उनसे प्रेम कर पाए।
रवींद्रनाथ टैगोर (1861–1941) सुप्रसिद्ध भारतीय-बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी-बांग्ला से हिंदी में अनुवाद के लिए ‘स्ट्रे बर्ड्स’ और इंटरनेट पर उपस्थित विभिन्न स्रोतों से चुनी गई हैं। अनिमेष मुखर्जी हिंदी की नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक-अनुवादक और पत्रकार हैं। उनसे animeshmukharje@gmail.com पर बात की जा सकती है।