हरिशंकरन अशोकन की कविताएँ ::
मलयालम से अनुवाद : बाबू रामचंद्रन
मृत्यु
मृत्यु के बग़ल वाले कमरे में रहता है प्रेम।
मृत्यु ने बीच की दीवार में
छेद बना रखा है—
प्रेम की नग्नता देखने के लिए।
एक दिन प्रेम ने उसी छेद से
मृत्यु की तरफ़ झाँका
और इसके बाद
पंखा बंद करके
घाघरे के नाड़े से
लटक कर ख़ुदकुशी कर ली।
हादसा
तुम्हारा हृदय
एक कुत्ता-घर है।
इस बात से अनजान
मैंने उसे खोल दिया
और अब मुझे
दौड़ा-दौड़ा कर
काट रहा है
तुम्हारा प्यार।
थेरेसा-दर्शन
जान दो जो भी लिखा था
आन दो जो अब लिखना है
बीच में खड़ी ख़ालीपन-सी
तुम…!
ओ थेरेसा…!
यह चुम्बन पूरा होने दो
होने से पहले
एक और माँगोगे तुम…
ओ थेरेसा तेरे लब…
यह जंग ख़त्म होने दो…
तुम जब यह चादर बिछाओगी
थेरेसा तुम्हारी ख़ामोशी को
मैं सिगरेटें की धुएँ की तरह
अंदर खींच लूँगा
कालीकट रेलवे स्टेशन के
पहले प्लेटफ़ॉर्म पर तुम
दूसरे पर मैं
बीच की रेल से
गुज़रती हुई मालगाडी
उन डिब्बों के बीच
बरखा ऋतु-सी
झलकती तुम
वही था प्रथम दर्शन…
प्रेम सुदर्शन…
यो(भो)गेच्छा
कुर्तें-क़मीज़ें
बेचैन तितलियों से
भरे पड़े हैं
खुलते बटनों के संग
चारों ओर के
पेड़-पौधे
और भी खिलने-सँवरने लगते हैं
वसंत-तितलियों को नहीं
तितलियाँ वसंत को
साथ ले आती हैं…
फिर इन गर्मियों को
क्यों बर्दाश्त करें हम?
हरिशंकरन अशोकन मलयालम की नई पीढ़ी के प्रसिद्ध कवि हैं। उनके दो कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। बाबू रामचंद्रन से परिचय के लिए यहाँ देखें : दूसरों को मिटाना कभी नहीं आया मुझे
बहुत सुंदर कृति