नज़्में ::
शारिक़ कैफ़ी
वबा के वक़्त में
एक
कभी इंजन पर बैठ कर कोई सफ़र किया है आपने?
मैं तो बहुत डर गया था
पीठ करके बैठ गया था सामने की तरफ़ से
लगता था जैसे अभी
रोशनी की बीम के पार
अँधेरे की दीवार से टकरा कर
खेत में पलट जाएगी ट्रेन
ये महामारी के ज़माने की ज़िंदगी भी
कुछ-कुछ उसी तजुर्बे की तरह है
फ़र्क़ बस इतना है
कि इस बार पीठ भी नहीं कर सकता मैं
सामने की तरफ़ से
दो
पहाड़ पर गया
लेकिन बड़ा होने के बाद
अकेले
क्लास के बच्चों के साथ बस में ढोल बजाता हुआ नहीं
महफ़िलों में अगर ज़्यादा रौनक़ देखी
तो बैठा रहा तन्हा
दूर किसी कोने में ख़ामोश
क़ब्रिस्तान के गेट पर
जब दूसरों ने फेंक दिए आधे-आधे सिगरेट
तब जान-बूझ कर माचिस माँगी क़ब्र खोदने वाले से
तो मर कैसे सकता हूँ मैं?
वबा के वक़्त में
जब इतनी मौतें हो रही हों चारों तरफ़
तीन
ये अच्छी बातों
और मुस्तक़बिल के ख़्वाबों से दिल घबराने का वक़्त है
बेटी करती है इतरा कर डेस्टिनेशन वेडिंग की बात
और झुँझला जाता हूँ मैं
बेटा ढूँढ़ कर बता रहा है कि
कौन-कौन सी जगह जा सकते हैं हम
दिसंबर की छुट्टियों में
और हथेलियों पर पसीना आ जाता है मेरे
बीवी इसी में ख़ुश है कि बच्चे घर पर हैं
क्यूँ
इसकी उसे बिल्कुल परवाह नहीं
और मेरी आँखों के किनारे भीगे हुए हैं
जाने क्या सोच कर
चार
न कहीं कोई बिल्ली रोई
न चूहे सड़क पर निकले
ख़ून थूकते हुए मरने के लिए
क़ुदरत से हमारे रिश्ते क्या इतने ख़राब हो गए हैं
कि जानवरों ने भी इस बार ज़रूरी नहीं समझा
हमें आगाह करना
कि वो आ रही है
वो
वो से मेरा मतलब समझ गए न आप?
पाँच
एक घर में रहने वाले लोग
बराबर के ख़तरे में होने के बावजूद
न ही बराबर के खौफ़ज़दा हो सकते हैं
और न कर सकते हैं बराबर की एहतियात
तुम बेवजह बाहर क्यूँ टहल रहे थे?
तुम ऑफ़िस से आते ही नहाते क्यूँ नहीं
मेड ने रोटी बनाते हुए मास्क क्यूँ नहीं लगाया हुआ था?
आह!
जान से ज़्यादा ख़तरा
रिश्तों के बिखर जाने का है—
इस बीमारी में
छह
तस्वीर देखते ही
पहली नज़र में उतर गई मेरे दिल से
वो गोल-सी फ़ुटबॉल की शक्ल की मौत
इसके साथ मैं रिश्ता नहीं कर सकता
सोचा दिल में
और निकल गया स्कूटर उठा कर
मास्क और सेनिटाइजर ख़रीदने…
शारिक़ कैफ़ी उर्दू के आधुनिक शाइरों में से एक हैं। यहाँ प्रस्तुत नज़्में उर्दू से हिंदी में उन्होंने ख़ुद लिप्यंतरित की हैं। उनसे और परिचय तथा ‘सदानीरा’ पर इस प्रस्तुति से पूर्व प्रकाशित उनकी नज़्मों के लिए यहाँ देखें : सबसे बड़ा ख़ौफ़ सच हो गया │ जिस्म के साथ आख़िरी लम्हे