कविताएँ :: विमलेश त्रिपाठी
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यहाँ नदी थी
नवकांत बरुआ की कविता :: असमिया से अनुवाद : सुलोचना वर्मा
इस देश का विशालकाय मुँह दर्द में भिंचा हुआ है
जयंत महापात्र की कविताएँ :: अनुवाद और प्रस्तुति : शिवम तोमर
एक मुट्ठी जुगनुओं का प्रकाश लेकर ख़ाली मैदान में जादू दिखा रहा है अंधकार
पूर्णेंदु पत्री की कविताएँ :: बांग्ला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा
रात में प्रेम चढ़ जाता है चाँद पर और उछाल देता है मछलियाँ पानी के आसमान में
कविताएँ :: सुजाता गुप्ता
रूखे मौन के आवरण से ढक लिया अपना आप
प्रोमिला मन्हास की कविताएँ :: डोगरी से अनुवाद : कमल जीत चौधरी