कविताएँ :: अदीबा ख़ानम
Posts tagged लोक
आँसुओं से समुद्रों की परिधि बढ़ रही है
कविताएँ :: आनंद बलराम
जियो लेकर प्यार का आधार
कविताएँ :: सुघोष मिश्र
किसी के जीवित रहने की याद भी ज़्यादा दिनों तक जीवित नहीं रहती
कविताएँ :: अमर दलपुरा
हर ओर अँधेरा लगता जग ओछा
कविताएँ :: हरे प्रकाश उपाध्याय
धान की डेहरी में मनही की तरह सोता है मेरे भीतर देवरिया
कविताएँ :: विवेक कुमार शुक्ल