कविताएँ :: बेबी शॉ
Posts tagged स्त्री विमर्श
मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ कुहनी से कुहनी फँसाकर
जॉयस मन्सूर की कविताएँ :: अँग्रेज़ी से अनुवाद : अखिलेश सिंह
मेरे डरों से पार एक दुनिया है, तुम वहीं ढूँढ़ रहे हो मुझे, वहाँ नहीं मिलूँगी मैं
कविताएँ :: रेणु कश्यप
परछाइयाँ अपनी मालिक ख़ुद होती हैं और रात में कहीं भी जा सकती हैं
लुइज़ ग्लुक की कविताएँ :: अँग्रेज़ी से अनुवाद : किंशुक गुप्ता
यह जानते हुए भी कि मुझे कहाँ रास आता है प्रेम
कविताएँ :: सपना भट्ट
मैं दबाकर रखी गई चीख़ हूँ जो तुम्हें बावला कर सकती है
कविताएँ :: यशस्वी पाठक