कवितावार में रवींद्रनाथ टैगोर की कविता :: अनुवाद : सरिता शर्मा
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निभृत प्राणों के देवता
‘गीतांजलि’ पर :: शंख घोष बांग्ला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी
या तुम ही हो यह अरण्य रोता हुआ
अरुण कोलटकर की कविताएं :: अनुवाद और प्रस्तुति : प्रतिभा
मैं ‘यूनिवर्सिटी कल्चर’ का हिस्सा क्यों नहीं बनना चाहता
नस्र :: तसनीफ़ हैदर
मैं कभी मृत्यु पर नहीं हंसता हूं
हावियर हिरॉद की कविताएं :: अनुवाद : आग्नेय
49 वर्षों बाद… कवि हावियर हिरॉद का आखिरी शब्द!
पाठ :: अर्मान्दो ओरोजको तोवार अनुवाद : पल्लवी प्रसाद