कवितावार में मिरोस्लाव होलुब की कविता :: अनुवाद : प्रयाग शुक्ल
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इतने शोर में गूंज रही है इक आवाज़ हमारी भी
नज़्में :: तसनीफ़ हैदर
मैं एक पत्ती को देखती हूँ और उससे अपनी आस जोड़ लेती हूँ
आन येदरलुंड की कविताएँ :: अनुवाद और प्रस्तुति : गार्गी मिश्र
ताकि आप सत्य को जान सकें
चिट्ठियां :: स्तानिस्लावस्की के नाम वाख्तानगोव अनुवाद : पी. एस. मलतियार प्रस्तुति : महेश वर्मा
खालीपन के एहसास के बावजूद
यानुष षुबेर की कविताएं :: अनुवाद और प्रस्तुति : उदय शंकर
‘साहित्य पूरी तरह आत्मकथाओं से भरा पड़ा है’
बातें :: रॉबर्तो बोलान्यो से कार्मेन बोयोषा अनुवाद : संध्या कुलकर्णी