कविता :: बेबी शॉ
Posts tagged लोक
विदा का अर्थ उसके क्षणों से अधिक स्मृति में स्पष्ट होता है
कविताएँ :: आदर्श भूषण
मैं हर रोज़ लावा निगलता हूँ
कविताएँ :: हिमांशु जमदग्नि
मैं उस जगह पर मरना नहीं चाहता था जहाँ लोग जीते जी मर रहे थे
कविताएँ :: यशवंत कुमार
प्यास से जन्मी ‘मैं’ का पहला और अंतिम स्वप्न पानी था
कविताएँ :: प्राची
हारे हुए लोग बचाएँगे हारे हुए लोगों को
कविताएँ :: महिमा कुशवाहा