कविताएँ :: भूपिंदरप्रीत
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मैं यहाँ खड़ा हूँ, क्या तुम समझते हो
ऊलाव हाउगे की कविता :: अनुवाद : रुस्तम सिंह
उससे कहना अभी मैं ज़िंदा हूँ
शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की नज़्में :: लिप्यंतरण : मुमताज़ इक़बाल
इतने लोगों से कैसे मिल पाते हम अगर शाइरी नहीं करते
ग़ज़लें :: हरजीत सिंह
फूल के मौन की तरह पवित्र और सुंदर
जसविंदर सीरत की कविताएँ :: पंजाबी से अनुवाद : रुस्तम
अविचल छितराया हुआ मौन
डोरिस कारेवा की कविताएँ :: अँग्रेज़ी से अनुवाद और प्रस्तुति : रुस्तम