सुमम थॉमस की एक कविता ::
मलयालम से अनुवाद : बाबू रामचंद्रन और बेजी जैसन
मेरे बाप पर मत जाना
आज मेरे बाप को गाली दे दी तुमने
आइंदा जुर्रत नहीं करना
‘अपने बाप से जाकर कह दे’,
तुमने कह तो दिया
पर गिरिजाघर के प्रांगण में बनी
क़ब्र में सोए हुए पिता से मैं क्या कहूँ?
जो कहना है
तुमसे ही कहूँगी
नशे में धुत्त पिता को
जब भी मैं टोकती
तब वह तुनक कर पूछते—
तुम्हें शिकायत क्या है?
मैं नशे में डूबकर तुम्हें
मार-पीट तो रहा नहीं
क्या कहती,
पहले ख्रीष्ट-भोज में
औरों की तरह सज-सँवर कर न खड़ा हो पाना
स्कूल के पिकनिक पर पैसों की
क़िल्लत की वजह से न जा पाना
स्कूल यूनिफ़ॉर्म ही पहन हर जगह
घर-बाहर, आना-जाना
डरती थी तब यह कहने से
कि यह सब ऐसा इसलिए
कि मेरा बाप शराबी है
अब मैं बता सकती हूँ तुम्हें
उस वादे के बारे में भी
जो उन्होंने मुझसे किया था
क्रिसमस में एक नई सोने की चेन दिलाने का
और देखो,
इस वादे पर कोई भी बात किए बिना
क्रिसमस के ही महीने में
कुछ भी कहे बग़ैर
वह चल बसे
तब नहीं रोई मैं
पर जब हर कोई अपने पिता को याद कर
कुछ कहता
तो मेरी आँखें मचल जातीं
यही सोच कर भर आतीं
कि कुछ भी तो नहीं है मेरे पास कहने को
तुम सोच रहे होगे
कि क्यों कह रही हूँ मैं यह सब तुमसे?
तो सुनो,
बहुत सारी घुँघरुओं वाली पायल बाँधे
जिस बेटी की कल्पना को
जैसे पाल रहे हैं हम दोनों मन में
मैं नहीं चाहती कि वह कभी भी
तुम्हें ऐसे याद करे
जैसे मैं कर रही हूँ
अपने पिता को
और इसीलिए कह रही हूँ
आज तो दे दी तुमने
मेरे बाप को गाली
आइंदा कभी
ऐसी जुर्रत नहीं करना।
सुमम थॉमस की यह पहली कविता है। वह पत्रकारिता से संबद्ध हैं और त्रिवेंद्रम में रहती हैं। उनसे ponmasumam@gmail.com पर बात की जा सकती है। बाबू रामचंद्रन और बेजी जैसन के परिचय के लिए यहाँ देखें :
दूसरों को मिटाना कभी नहीं आया मुझे
तर्पण