आभार ::

‘सदानीरा’ के क्वियर अंक के संभव का एक कोमल नेपथ्य है। साल 2019 के प्राइड के दुमछल्ले, साथ-साथ चलते, हम ‘हिंदी के दोस्तों’ का एक साझा प्रयास। दूर देश में बैठे हिंदी पहचानते और जेंडर (लिंग) की नाटकीयता के प्रति सजग कलाकार और कवि, भविष्य की सहजता-कोमलता को साँस मानती कविता, कला, कहानी और दर्शन की धाराएँ और सस्नेह उपस्थित ‘एलाय’ (ally)।

‘सदानीरा’ के संपादकों ने हमें इस अंक के लिए स्वतंत्रता और हर संभव सहयोग दिया, और हमने जिनसे-जिनसे शामिल होने की दरख़्वास्त की, हम उनकी इनायत से विनम्र हुए। कोरोना के कारण इस अंक के आने में एक साल का जो विलंब हुआ, वह हम सबके लिए किसी भाव-पल्लवन का समय रहा। बीते सवा साल में इस अंक ने तीन आवरण बदलकर देखे, इसमें कुछ और नए कवि-कलाकार जुड़े, एक बड़ा हिस्सा हमने जाने दिया, और कई नए अनुवाद प्राप्त हुए। इस अंक के साथ बिताए इस समय ने हमें लगातार पुनर्जांच करना और हमारे निजी विमर्श और व्यवहार को क्वियर-साम्य सिखाया। अंक के चयन-वैविध्य की असीमितता और कवितापरक कलात्मक आग्रह हमारे लिए ‘सदानीरा’ की आकांक्षा रही है।

हमारी वर्तमान राजनीति में अंतर्निहित सेक्सुअल घृणा इस अंक का एक दुःख और इस अंक का एक सुख जो संभव हो सका उसका अंतत: प्रिंट में होना हुआ।

हम इस अंक में प्रस्तुत प्रत्येक रचनाकार-कलाकार और मददगार के प्रति अपना आभार अभिव्यक्त करते हैं, और हिंदी में क्वियर से यह संवाद सहज हो, इसी विश्वास के संग क्वियर हम इस अंक को सँजोते हैं।

— रिया रागिनी – प्रत्यूष पुष्कर


यह आभार/समापन ‘सदानीरा’ के क्वियर अंक के लिए इस अंक के संपादकों रिया रागिनी और प्रत्यूष पुष्कर के द्वारा संभव हुआ है। इस प्रस्तुति की फ़ीचर्ड इमेज : BaRiya Studio

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