कला ::
भूपेन खखर

 

टू मेन इन बनारस
यू कांट प्लीज़ आल
सोफ़ा
शीर्षकहीन

भूपेन खखर (1934–2003) एक समकालीन भारतीय कलाकार-चित्रकार हैं। समलैंगिक पहचान और उससे जुड़े विमर्श उनकी कला-यात्रा का अभिन्न हिस्सा रहे। भारतीय परिदृश्य में समलैंगिकता के निजी, सामाजिक और सांस्कृतिक निहितार्थ को समझने के सिलसिले में उनका काम बेहद उल्लेखनीय है। एक स्व-प्रशिक्षित कलाकार भूपेन ने कला के कई माध्यमों में अपना हस्तक्षेप प्रदर्शित किया। सदानंद मेनन को दिए अपने आख़िरी इंटरव्यू में भूपेन कहते हैं, “मेरे लिए किसी के काम में सत्य की झलक : रंगों के बेहतरीन इस्तेमाल और किसी प्रकार की कला-प्रवीणता से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।’’ यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के क्वियर अंक में पूर्व-प्रकाशित। इस प्रस्तुति की फ़ीचर्ड इमेज : भूपेन खखर का पोर्ट्रेट [ज्योति भट्ट के सौजन्य से]

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