गुन्नार ब्योरलिंग की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रिया रागिनी

गुन्नार ब्योरलिंग

एक

मैं साहित्य नहीं लिखता हूँ,
मैं अपना चेहरा और अपनी उँगलियाँ तलाशता हूँ।

मैं अपनी मेहनत के उल्लास के साये-सा आया
मैं महान जीवन-कविता की सिसक-सा आया
और अपनी कविता ढोई
जैसे जीवन का दिन टुकड़ों में बिखरा हुआ
जैसे जीवन का दिन नए रूपों में बहता—
धनी और संपूर्ण
जैसे साथ लिए हर दिन की बुदबुदाहट,
उन लोगों की,
जिनके संग मैं जीता हूँ।

दो

मेरी साँस को तुम आए :
एक सिहरन, एक दृष्टि!

मैं दोनों नहीं जानता—
तुम या तुम्हारा नाम।

सब वही है जो था।

लेकिन तुमने नज़दीक खींचे :
एक भोर, एक उड्डीयमान वृत्त, तुम्हारा नाम।

ज़्यादातर केवल चुप् शब्द और झूठ ही हैं—
दिन की आँखों के लिए!—
जो एक ओर सरक जाता है।

सब कुछ चुप् शब्द ही हैं—
तुम्हारी आँखों के लिए :
एक व्यथा की चुप्पी जैसा—

निष्प्रयोजित, हल्का और क्षणभंगुर।

तीन

इस सुबह। शांति
और सीगल की चीख़
एक नाव और फूल
ज़मीन और पानी हैं।

फूल की नाव
क्षितिज के नीचे की
दिन की हवा है।

वर्तमान मरा नहीं है
यह एक आवाज़ है।

इस देर रात्रि में—
समुद्र और आकाश के बीच
मुश्किल से टिमटिमाता हुआ।

स्पिनोज़ा

एक इंसान वहाँ बैठा
और लड़ता गया और लड़ता गया।

एक विचार ने पत्थर पर पत्थर उठा लिया,
जब तक कि वह इमारत पूरी न हुई,
वह मंदिर बिना
वाक्-पटुता और आडंबर के,
एक जवाँ मर्द का सपना :
मर्दानी उत्कंठा में, संपूर्ण—
स्वर्ग उठ खड़ा हुआ,
यथार्थ की व्यग्रता,
और उसके नीचे तुम, और
उसमें एक संसार।

और अब तुम अकेले नहीं थे।


गुन्नार ब्योरलिंग (1887-1960) स्वीडिश भाषी फ़िनिश कवि हैं। वह फ़िनिश-स्वीडिश साहित्य के अग्रणीय कवियों में से एक हैं। उन्हें बहुत समय तक अपनी सेक्सुअलिटी के लिए बहिष्कार झेलना पड़ा, जो कि उनके दौर में क़ानून की नज़र में एक अपराध ही था। यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के क्वियर अंक में पूर्व-प्रकाशित। रिया रागिनी से परिचय के लिए यहाँ देखें : मैं तुम्हारे यथार्थ पर सवाल खड़े करती हूँ

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