प्लम ब्लॉसम के बारे में कविताएँ ::
अनुवाद, प्रस्तुति और तस्वीरें : देवेश पथ सारिया
प्लम ब्लॉसम
दीवार के कोने में कुछ प्लम के वृक्ष बढ़ते हैं
शीत के विरुद्ध फूट पड़ते हैं सफ़ेद फूल
कोई अन्यमनस्क जानता है कि वे बर्फ़ नहीं हैं
भीनी सुगंध हवा से होकर बहती है
वांग अंशी, सॉन्ग राजवंश काल के कवि
स्रोत : chinesetimeschool.com
प्लम ब्लॉसम का स्तुति-गीत
अस्तबल के बाहर, टूटे पुल के बग़ल में, एक, अकेला फूल खिलता है
ढलती साँझ में अपने अकेलेपन से दुखी
उस पर टकराती है अब तेज़ हवा और बरसात
जलने दो और फूलों को
उसे सिर्फ़ अपने लिए नहीं चाहिए वसंत
उसकी कलियाँ भले ही गीली ज़मीन पर पड़ी हो
सुगंध बनी रहेगी उसकी
लू यू
स्रोत : marxists.org
बर्फ़ में
पुरानी शाख खिल उठी है बर्फ़ में
एक निचली मुख्य भूरी डाल पर गुलाबी होंठ
तुम्हारा चेहरा देखता हूँ मैं सफ़ेद पुते हॉल में
और सिंगापुर स्थित घर को याद करता हूँ
जी ल्योन्ग कोह
स्रोत : shitcreek.auszine.com
प्लम ब्लॉसम
प्लम ब्लॉसम मुझे सारी रात जगाए रखता है
प्रस्फुटित होता रहता, हौले-हौले मेरी चोट से
प्रस्फुटित होता, किसी के लिए नहीं, किसी कारण नहीं
दिन की रोशनी सफ़ेद खिड़की पर है गिरती फाहे-सी
जी ल्योन्ग कोह
स्रोत : shitcreek.auszine.com
देवेश पथ सारिया हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं। इस प्रस्तुति में प्रयुक्त सभी चित्र ताइवान के हैं।