रेनर मरिया रिल्के की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : नेहल शाह

रेनर मरिया रिल्के

एक

यदि सब ठहर जाता
बस एक पल को।
यदि मौन किए जा सकते
‘यह कुछ ठीक नहीं’
‘ऐसा क्यों है’—
जैसे भाव,
और
आस-पड़ोस की हँसी,
मेरी इंद्रियों का घर्षण
ये सब नहीं रोकते मेरी जागृति—

तब मैं एक विशाल विचार की अनंत गहराई में
सोचता तुम्हें, सोच के अंत तक,

मैं तुम्हें ख़ुशी से धारण करता
एक क्षणिक मुस्कान को,
और तुम्हें समर्पित करता
उन सभी को जो जीवित हैं।

दो

तुम हो
वह अंधकार
जिससे मेरा जन्म हुआ है।

तुम मुझे अधिक प्रिय हो
उस अग्निशिखा से,
जो समेट लेती है इस विश्व को,
अपनी रोशनी भर के वृत्त में,
और छोड़ देती है शेष सब।

लेकिन अंधकार अपना लेता है सब कुछ—
आकार, छाया, प्राणी,
लोग, विश्व और मुझे
बिल्कुल वैसे ही जैसे हम हैं

यह मुझे कल्पना देता है
मेरे पीछे एक महान अस्तित्व के उद्दीपन की।

मुझे भरोसा है रात्रि पर।

तीन

और ईश्वर ने कहा मुझसे, लिखो :

निष्ठुरता सम्राटों के लिए छोड़ दो।
वह देवदूत यदि प्रेम की राह
न रोके
तो कोई सेतु नहीं बन सकता
मेरे और समय के बीच।

और ईश्वर ने कहा मुझसे, रँग दो :

दुख से तने हुए कैनवास पर समय :
सचेत स्त्रियाँ,
यीशु के घाव,
शहर के उदास शराबी
सम्राटों का उन्माद।

और ईश्वर ने कहा मुझे से, आगे बढ़ो :

कि मैं ही हूँ समय का सम्राट
किंतु तुम्हारे लिए
मैं केवल वह परछाया हूँ
जो जानती है तुम्हें तुम्हारे अकेलेपन से
और देखती है तुम्हारी ही आँखों से।

वह देखता है मेरी आँखों से, हर युग में।

चार

और इन सब लोगों में
तड़पते हैं
तुम्हारे बेचारे ग़रीब,
जो कुछ भी वे देखते हैं,
वह उन्हें ढाँप देता है
अपने भार से,
जैसे वे काँप रहे हों,
तप रहे हों बुखार से।

वे बेदख़ल होते हुए अपने ही जीवन से,
भटकते हैं रात में
अतृप्त आत्माओं से,
गंद और गर्त से दबे हुए,
घबरा जाते हैं
बेतरतीब दौड़ते यातायात से,
उसके शोर और प्रकाश से।

यहाँ, यदि कोई मुख मौजूद है
इनके संरक्षण के लिए,
तो अब समय है कि वह खुले और कुछ कहे।

पाँच

तुम भविष्य हो,
सूर्योदय के पहले की उषा की लालिमा,
समय के पृष्ठ पर।

रात ढल जाने पर,
तुम बाँग हो मुर्ग़े की,
तुम हो बूँदें ओस की,
और प्रार्थना की प्रथम-ध्वनि,
स्त्री, मित्र, माता, मृत्यु भी।

दिन-रात की रूप बदलती,
सामग्री से
तुम स्वयं को ही रचते हो ,
बिन कहे, बिन रोए, बिन उल्लेख के,
जैसे कोई वन,
जिससे हम अनजान हों।

तुम हो हर एक का गूढ़ अंतरस्थ,
जो कहा न जा सके,
वह अंतिम शब्द।
हम में से हर एक को,
तुम मिलते हो अलग रूप में :
तट के लिए हो जहाज़,
जहाज़ के लिए हो समुद्र-तट।

छह

तुम्हारा सबसे पहला शब्द था प्रकाश,
और प्रारंभ हुआ समय।
फिर तुम लंबे समय तक मौन रहे,

तुम्हार दूसरा शब्द था मनुष्य,
और प्रारंभ हुआ भय,
जो अब तक हमें पकड़े हुए है,

क्या तुम पुनः कुछ कहने जा रहे?
मैं नहीं चाहता तुम्हारा तीसरा शब्द।

कभी-कभी मैं प्रार्थना करता हूँ,
कि तुम कुछ न कहो,
तुम्हारी क्रिया केवल संकेत हो,
तुम लिखते रहो,
चेहरों और चट्टान पर,
तुम्हारे मौन के अर्थ को,

तुम बचा लो हमें उस क्रोध से,
जिसने स्वर्ग से खदेड़ दिया हमें।

हमारे चरवाहे बनो,
किंतु हमें कभी मत पुकारो,
कि हममें सामर्थ्य ही नहीं है
यह जानने का
कि आगे क्या है।

सात

प्रभु, तुम क्या करोगे, जब मैं मर जाऊँगा?
मैं तुम्हारा पात्र हूँ (जब मैं ढलक जाऊँगा?)
मैं तुम्हारा पान हूँ (जब गरल हो जाऊँगा?)
मैं तुम्हारा वस्त्र, तुम्हारी कारीगरी।
मेरे बिन तुम्हारे पास और क्या वजह होगी?

मेरे बिन तुम्हारा क्या घर,
जहाँ राह देखें तुम्हारी प्रेम भरे शब्द?
मैं हूँ मख़मली सैंडल जो तुम्हारे पैरों से गिर रही।
मैं ही वह आवरण जो तुम्हारे कंधे से सरक रहा।

तुम्हारी दृष्टि,
जो अभी, जँचती है मेरे गालों पर
ढूँढ़ेगी मुझे हर समय
और बीती हुई साँझ में
रुका करेगी ख़ाली समुद्र पर
अनजान पत्थरों के बीच।

मैं परेशान हो जाता हूँ
यह सोचकर
कि क्या करोगे तुम?

आठ

मैं स्वयं को व्यक्त करूँगा ऐसे
जैसे कोई परिदृश्य
मैंने पढ़ा हो,
पूरा, विस्तार से,
जैसे वह एक शब्द
जो बस आने ही वाला हो
मेरी समझ में,
जैसे एक पात्र भर लिया हो मैंने
भोजन के समय से,
जैसे चेहरा मेरी माँ का,
जैसे कोई जहाज़,
जो मुझे लेकर चले,
जब पानी तूफ़ान बन आगे बढ़े।


रेनर मरिया रिल्के (1875-1926) बोहेमियन-ऑस्ट्रियाई कवि और उपन्यासकार हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविताएँ इंटरनेट पर मौजूद विभिन्न स्रोतों से चुनी गई हैं। नेहल शाह हिंदी की नई पीढ़ी से संबद्ध कवयित्री और अनुवादक हैं। उनसे nehalravirajshah@gmail.com पर बात की जा सकती है।

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