सी. पी. कवाफ़ी की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कुँवर नारायण

सी. पी. कवाफ़ी

ऊब

एक उबाने वाले दिन के बाद एक और
उबाने वाला दिन, बिल्कुल वैसा ही। एक बार बीत कर
वही सब फिर से बीतेगा; वही विचार, वही क्षण—
फिर आएँगे, फिर हमें पाएँगे, और पाकर चले जाएँगे।

महीने के बाद महीना। मालूम ही है
कि क्या आने वाला है; व्यतीत व्यथा
केवल एक थकन है।
कल जो आएगा आज ही लगता है।

कुछ हैं जिनका दिन शुरू होता

कुछ हैं जिनका दिन शुरू होता
एक बहुत बड़ी ‘चाहिए’ के संकल्प से,
और कुछ का ‘नहीं चाहिए’ से।
तुरंत स्पष्ट हो जाता
किसके अंदर वाला ‘चाहिए’
पक्की तरह तैयार है
एक के बाद एक पद प्रतिष्ठा को
बटोरते चले जाने के लिए।

जिसने कहा ‘नहीं चाहिए’
कोई पछतावा नहीं उसे भी। जब पूछो
यही कहेगा—‘नहीं चाहिए’
फिर भी वह ‘नहीं चाहिए’
सही होते हुए भी
जीवन में उसकी मिट्टी पलीद करके रख देगा।

  • यहाँ प्रस्तुत कविता शीर्षकहीन है। सुविधा के लिए यहाँ पहली पंक्ति को शीर्षक बनाया गया है। — अनुवादक

सी. पी. कवाफ़ी (1863-1933) संसारप्रसिद्ध ग्रीक कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविताएँ ‘न सीमाएँ न दूरियाँ’ (विश्व कविता से कुछ अनुवाद, वाणी प्रकाशन, प्रथम संस्करण : 2017) शीर्षक पुस्तक से साभार है। कुँवर नारायण (1927-2017) सुप्रसिद्ध हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं।

1 Comment

  1. सुमित वाजपेयी'मध्यांदिन' जुलाई 31, 2022 at 1:12 अपराह्न

    पहली कविता ‘ऊब’ बहुत अच्छी लगी

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