सारा टीसडेल की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनुराधा अनन्या
वह निगाह
स्टीफन ने मुझे वसंत में चूमा था
रॉबिन ने मुझे पतझड़ में
मगर कोलिन ने सिर्फ़ मुझे देखा था
और चूमा कभी नहीं
स्टीफन का बोसा दिल्लगी में ही खो गया
और रॉबिन का खेल में खो गया
लेकिन कोलिन की निगाहों में छुपा
वह बोसा मुझे रात-दिन सताता है
बूढ़ी नौकरानी
मैंने कल ब्राडवे कार में उसे देखा
वह औरत जिसके लिए मैं अब बड़ी हो चुकी हूँ
मैंने महसूस किया जैसे मेरे प्रेमी ने उसे देखा
और फिर अचानक मुड़कर मुझे
उसके बाल रूखे थे और कोई चमक नहीं थी
फिर भी उसका रंग मेरे ही रंग जैसा था
उसकी आँखें अजीब तरह की
मेरी ही आखों जैसी थीं
जिनमें कभी प्यार की चमक नहीं उतरी
उसका बदन दुबला हो गया था
जिसमें कभी प्यार की भूख नहीं जागी
उसकी रूह अँधेरे में जमी हुई थी
प्यार की लौ ने जिसे कभी गर्मी नहीं दी
मैंने महसूस किया जैसे मेरे प्रेमी ने उसे देखा
और फिर अचानक मुड़कर मुझे
प्रेमी की आँखों में जादू उतरने लगा है
मैं वह औरत कभी नहीं हो सकती
क्या तुम्हें कभी नहीं पता चला
क्या तुम्हें कभी नहीं पता चला
कि बहुत पहले तुम मुझे कितना प्यार करते थे
कि तुम्हारा प्यार कभी भी कम नहीं होगा न ही ख़त्म होगा
तब तुम नौजवान थे—गर्व और जोश से भरे
कुछ भी जानने के लिए अभी छोटे थे
क़िस्मत एक हवा है
जिसके पहले लाल पत्ते उड़ते हैं
दूर बहुत दूर
साल दर साल
समय के झोंकों से दूर-दूर
अब हम कभी-कभी ही मिलते हैं
लेकिन जब भी तुम्हें बोलते हुए देखती हूँ
तुम्हारे सारे राज़ जान जाती हूँ मेरी जान
मेरी जान
मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा
जब मैं मर जाऊँगी
तब मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा
कि अप्रैल मेरे ऊपर चमक रहा है
वह ज़ुल्फ़ों से बारिश की बूँदें झटक रही है
या तुम अपने टूटे हुए दिल के साथ
मुझ पर झुके हुए हो
मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा
मैं ऐसे ही सुकून में रहूँगी
जैसे पत्तेदार पेड़ रहते हैं
जब बारिश उनकी शाखों को झुका देती है
मैं तुमसे ज़्यादा ख़ामोश और इत्मीनान में रहूँगी
लड़की को हिदायत
किसी को भी बाँधकर नहीं रखा जा सकता
न पूरी तरह वश में किया सकता है
इस बात को अपने दिल बैठा लो
मेरी प्यारी रूठी हुई छोटी बेटी
यह सच किसी क़ीमती पत्थर-सा मज़बूत है
अपने सुलगते गालों पर रख लो इसे
और अपने आँसू छिपा लो
इसे एक काँच की तरह पकड़ो
और जब तुम अकेली हो
तब इस बर्फ़-से चमकीले
काँच की गहराई में
एकटक देखती रहो
देर तक
और देर तक देखती रहो
तुम जानकर धन्य हो जाओगी
किसी को भी बाँधकर नहीं रखा जा सकता
न पूरी तरह वश में किया सकता है
व्यभिचारिणी
मेरी जान, तुम्हारा चेहरा प्यारा है,
और तुम्हारी आँखें भी प्यारी हैं,
मुझे तुम्हारी ज़िंदगी में कोई ख़ामी नहीं दिखती,
सिर्फ़ तुम्हारे झूठ के पुलिंदों के अलावा
तुम बहादुर नहीं हो,
तुम जंगली नहीं हो,
तुम निरे सजने-धजने के पहाड़ चढ़ती हो
ख़्वाहिशें ही तुम्हारा ख़ास असबाब हैं
तुमने इन्हें जुनून कहने की हिम्मत की
अकेली
मैं अकेली हूँ
प्यार के बावजूद
लेन-देन के बावजूद
तुम्हारी इनायतों के बावजूद
कभी-कभी मुझे लगता है मेरे जीने में कोई ख़ुशी नहीं
मैं अकेली हूँ
जैसे मैं इस थकी हुई स्लेटी दुनिया
की सबसे ऊँची चोटी पर खड़ी हूँ
मेरे पास सिर्फ़ घूमती बर्फ़ है
मेरे ऊपर अनहद आकाश फैला है
धरती भी छिपी है स्वर्ग भी छिपा है
मेरे पास सिर्फ़ आत्माभिमान है
जो उन तमाम लोगों के हिस्से की शांति रखे हुए है
जो अकेले नहीं हैं और मर रहे हैं
सिर्फ़ नींद में
सिर्फ़ नींद में ही मैंने उनके चेहरे देखे
वो बच्चे जिनके साथ मैं तब खेलती थी
जब ख़ुद एक बच्ची थी
लुइस अपने भूरे बालों की लटों
के साथ वापस आती है
औऱ ऐनी अपने
जंगली और घुँघरालों के साथ
सिर्फ़ नींद के वक़्त ही याद नहीं रहता है
उनके पास क्या आया होगा
कौन जान सकता है
फिर भी पिछली रात हम ख़ूब खेले
और गुड़ियाघर सीढ़ी के मोड़ पर खड़ा था
इतने सालों ने उनके चिकने गोल चेहरों को नहीं तराशा
मैं उनकी आँखों से मिलती हूँ
और उन्हें कोमल पाती हूँ
मैं ताज्जुब में हूँ
क्या वे भी मेरे सपने देखते हैं
और क्या मैं भी उनके लिए एक बच्ची हूँ
दर्द
लहरें समंदर की सफ़ेद बेटियाँ हैं
और बूँदें बारिश की
लेकिन क्यों मेरे झिलमिलाते हुए शरीर के लिए
सिर्फ़ दर्द ही माँ है
सितारों की माँ रात है
और झाग की माँ हवा
पूरी कायनात ख़ूबसूरती से दमकती है
मगर मुझे घर में ही रहना होगा
आधी रात
आख़िरकार मैंने यह जाना
कि ज़िंदगी क्या है
कुछ भी कभी भी ख़त्म नहीं होता
सारी चीज़ें सिर्फ़ शुरू ही होती हैं
और जो बहादुरी की शानदार जीतें रहीं
वे वास्तव में कभी जीती ही नहीं गईं
यहाँ तक कि प्यार भी
जो बस एक हैरान मेहमान की ही तरह
मेरी आत्मा के घर में आया
संगीत
मर्दों की तारीफ़ें
और ठहाके भी दूसरी चीज़ों की ही तरह
हमेशा इतने राहत भरे नहीं रहे
मुहब्बत के बाद
कहीं भी कोई जादू नहीं है
हम मिले जैसे दूसरे मिलते हैं
तुम मेरे लिए कोई चमत्कार नहीं करते
और न मैं तुम्हारे लिए
तुम हवा थे और मैं समंदर
हमारे बीच कोई भव्यता नहीं थी
मैं एक बेपरवाह पूल-सी थी
किनारे के पास
लेकिन भले ही पुल तूफ़ानों से महफ़ूज़ है
और लहरों की रुकावट से भी
पर यह कड़वा होता है समंदर से भी
उसकी सारी शांति के लिए
सारा टीसडेल (8 अगस्त 1884-29 जनवरी 1933) सुविख्यात अमेरिकी कवयित्री हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए poetryfoundation.org/poets/sara-teasdale और allpoetry.com/Sara-Teasdale से चुनी गई हैं। अनुराधा अनन्या हिंदी कवयित्री और अनुवादक हैं। वह हरियाणा के जींद से हैं और इन दिनों दिल्ली में रह रही हैं। उनसे anuradha.annanya@gmail.com पर बात की जा सकती है। यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के 23वें अंक में पूर्व-प्रकाशित।