फ़्रांसिस्को हाविए एलेक्रॉन की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमित तिवारी

फ़्रांसिस्को हाविए एलेक्रॉन │ तस्वीर सौजन्य : La Bloga

मेरे पिता

मेरे पिता और मैं
एक दूसरे से
सतर्क होकर मिलते हैं
जैसे युद्ध के मैदान में
कर रहे हों
संधिपत्र पर हस्ताक्षर

हम बैठते हैं
खाने के लिए
रेस्त्राँ में आए
दो अजनबियों की तरह

जबकि मैं जानता हूँ
कि इस सबके नीचे
वे भी
त्यागना चाहते हैं
वह संताप
वह मूर्खता
वह दुःस्वप्न
जिसको मर्दानगी कहा जाता है।

नैसर्गिक अपराधी

मैं
बस कर रहने वालों के देश में
एक ख़ानाबदोश हूँ

पानी के
एक गिलास में
तेल की
एक बूँद

फूलता हुआ
एक कैक्टस
वहाँ
जहाँ कुछ भी
न उग सकता है
न उगना चाहिए

मैं
इतिहास का
ताज़ा और
जीता-जागता घाव हूँ

जीवन भर
जो कुछ भी मैं रहा हूँ
वह होना ही
मेरा अपराध है।

फूलों का गीत

हर पेड़
एक भाई है
हर पहाड़ी
एक पिरामिड
एक पवित्र स्थान

हर घाटी
एक कविता है
एक शोचिल
एक क्वेट्क्ल1शोचिल औरक्वेट्क्ल—In xochitl, In cuicatl—Nahuatl/न्हाऊअटल भाषा का एक वाक्यांश है, जिसका अर्थ होता है—फूल और गीत। न्हाऊअटल मूल अमेरिकी निवासियों के एक वर्ग में बोली जाने वाली भाषा है।

हर बादल
एक प्रार्थना है
बारिश की हर बूँद
एक चमत्कार

हर आदमी
एक समुद्रतट
एक स्मृति
जिसको एक साथ
पाया और खो दिया गया हो

और हम सब
जुगनू हैं
जो रात में
ब्रह्मांड रचने की
कल्पना कर रहे होते हैं।

एक कोरा काग़ज़

एक कोरा काग़ज़
बर्फ़ से ढँका
घास का मैदान होता है
जिसको एक कविता
पार कर जाना चाहती है।

प्रार्थना

मैं ऐसा भगवान चाहता हूँ
जो जुर्म में मेरा साथी हो
जो बदनाम घरों में
रातें बिताता हो
और शनिवार को
देर से उठता हो

ऐसा भगवान
जो गलियों में
सीटियाँ बजाता घूमता हो
और काँप जाता हो
प्रेमिका के होंठों के सामने

ऐसा भगवान
जो सिनेमाघरों के प्रवेशद्वार पर
लाइन में लग कर
प्रतीक्षा करता हो
और जिसको पसंद हो
कैफ़े-ओ-ले पीना

ऐसा भगवान
जो टीबी से
ख़ून थूकता हो
और जिसके पास
बस के किराए भर भी
पैसे न हों

ऐसा भगवान
जो किसी विरोध-रैली में
पुलिसवाले द्वारा
मोटे डंडे से मार कर
बेहोश कर दिया गया हो

ऐसा भगवान
जो यातना के लिए लाए गए
गर्म और लाल
बिजली के नंगे तार के सामने
डर कर पेशाब कर दे

ऐसा भगवान
जिसको आख़िरी हड्डी तक
प्रताड़ित किया गया हो
और जो दर्द से तड़प कर
हवा में दाँत पीसने लगता हो

ऐसा भगवान
जो बेरोज़गार हो
जो धरना देता हो
जो भूखा हो
जो फ़रार हो
जो निर्वासित हो
जो आपे से बाहर हो रहा हो

ऐसा भगवान
जो जेल के भीतर
तड़पता हो
चीज़ों और व्यवस्था में बदलाव के लिए

मुझे एक
भगवान सरीखा
भगवान चाहिए।

‘मैक्सिकन’ एक संज्ञा नहीं है

यूनिवसिर्टी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के उन छियालीस छात्रों और सात अध्यापकों के लिए जिनको धरना दे रहे दो हज़ार से अधिक Cannery मज़दूरों—जिनमें अधिकांश मैक्सिकन औरतें थीं—का समर्थन करने के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया।

‘मैक्सिकन’
एक संज्ञा नहीं है
न ही एक विशेषण

‘मैक्सिकन’
एक आजीवन
बेहद कम आमदनी वाली
नौकरी है

‘मैक्सिकन’
पुलिस विभाग में भेजे गए
अनुग्रह-पत्र पर
स्वीकृति का निशान है

‘मैक्सिकन’
एक शब्द से अधिक
आत्मा में ठोंकी गई
एक कील है

लेकिन
यह दुखती है
चिह्नित करती है
सपने देखती है
क्रुद्ध होती है
रोती है

आगे बढ़ती है
विरोध करती है
और ध्वस्त कर देती है
ठीक एक क्रिया की तरह।

जूतों के नाम एक क़सीदा

मेरे जूते
बिस्तर के नीचे
रात भर आराम करते हैं

थकी हुई
अपनी देह को फैलाते हैं
और अपने फ़ीतों को
ढीला करते हैं

वे सो जाते हैं
पूरा मुँह बाए हुए
और चलने का
सपना देखते हैं

वे सपने में
उन जगहों पर
वापिस जाते हैं
जहाँ वे दिन में गए थे

और फिर जागते हैं
प्रसन्न
निश्चिंत
और बेहद नर्म होकर।

एल.ए. की प्रार्थना

कुछ तो गड़बड़ था
जब बसें नहीं आईं

जब सड़कें
सड़कें नहीं रहीं

कितनी आसानी से
हाथ
हथियार बन गए

मुक्कों और गोलियों ने
चीथड़े कर दिए
रात के

जितना ही हम भागे
उतना ही
जलाए गए

हे प्रभु!
हमें रास्ता दिखा

बचा हमें
ढेर सारी पेट्रोल के बीच
चलती हुई
माचिस की तीली में
बदल जाने से।

फ़्रांसिस्को हाविए एलेक्रॉन (1954-2016) मैक्सिकन मूल के अमेरिकी कवि हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए poetryfoundation.org और poets.org से चुनी गई हैं। अमित तिवारी हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय तथा इस प्रस्तुति से पूर्व ‘सदानीरा’ पर प्रकाशित उनके काम-काज के लिए यहाँ देखें : प्यार, परिधि और चुंबनमैं अब और नहीं लड़ सकतीस्तब्धता मेरा समर्पण थी तुम्हारी उपेक्षा मेरे लिए खाद हैप्रवाह की अनुपस्थिति से परिभाषितइससे ज़्यादा नहीं जानना चाहिए

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