ओक्टावियो क्विंटानिला की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विपिन चौधरी
अकेलापन
अपने लड़कपन में
चढ़ता था
पेड़ पर
पक्षियों के घोंसलों तक पहुँचने के लिए
पहुँच से बाहर होने पर
नन्हे अंडों से मैं अपने हाथ भर लेता था
अक्सर
हाल ही में अंडों से निकले एक या दो पक्षियों के बच्चे
टहनियों के पीछे से
घूरते थे मुझे
उस समय मैं उन्हें
ले जाना चाहता था
अपने घर
रखता उन्हें
अपनों-सा
उनकी चोंच की कल्पना करते हुए
उन्हें विकसित करता
खुलती एक दिन जो
पुकारते हुए मुझे—
‘पिता’।
प्रवास
जब मेरे पिता ने खो दी थी अपनी याददाश्त
तब भी उन्हें रहता था याद
कि खो गए हैं वह
‘मैं एक रेगिस्तान में हूँ’
— कहा उन्होंने—
‘हूँ अब मैं एक नदी में’
हमेशा वह किसी दूसरे देश में पहुँचे हुए होते
सोफ़े पर बैठे हुए भी
टेलीविजन के समाचार संवाददाता से पूछते—
‘कहाँ हूँ मैं?’
सोते वक़्त
ताकती रहतीं उनकी आँखें
सड़क से आती रोशनी से
छत
केक के टुकड़ों-सी कट गई है
अजीब-सी एक स्त्री
उनके क़रीब आ
झुक कर देख रही है उन्हें
सोते हुए।
सौहार्द
यहाँ फिर से हैं
एम्बुलेंस
दिल का दौरा पड़ने से किसी का दम घुट रहा है,
एक बच्चा टकरा गया है
साइकिल से
एक औरत
अजनबी पर ग़ुस्साते
चल रही है अपने आदमी के साथ
यहाँ बाहर ठंड है और तुम्हारी दूसरी मंज़िल की खिड़की से,
देख सकती हो तुम
उजली साँस
लड़के लोहे के दरवाज़ों के सामने झुके हुए हैं
शोर से वे भी जाग गए हैं
अब तुम समझ गए हो
एक दूसरे को
सोते हो जब तुम कष्ट होता है किसी को
खिड़की के उभरे हुए किनारे से
कर लेता है कोई
अपने क़दम पीछे।
रतजगा
कोई मर रहा है
तुम्हारी नींद से दूर
लगा
एक तकिया को गले
खाँसता टुकड़ों में
तुम्हारे नाम पर
उन्हें आशा है
तुम चले आओगे
घुटनों के बल
उनकी ओर
ले आओगे
सलीब पर ईसा मसीह का चित्र
सूरज की रोशनी का एक तार
अपनी उँगलियों के बीच
कोई मरने को है
तुम्हारी नींद से दूर
लगा रही हो
एक तकिये को गले तुम
भींच उसका नाम
अपने दाँतों के बीच।
ज़िम्मेदारी
उस बालक का क्या करें
है जो हमारा
सुपरमार्केट में
हम भूल जाते हैं उसे
अँधेरे थिएटर में
छोड़ देते हैं
हम उसे ऊँघता हुआ
जब उसकी बाँहें
हमारे गोद के दुलार की चाह करती हैं
तब
जारी रखते हैं
हम अपना पढ़ना
बनाते रहते हैं तालिकाएँ
करने लगते हैं प्रेम
जबकि वह सोई होती हैं
हमारे बीच
लेकिन वह हमसे होती जा रही हैं
अभ्यस्त
यहाँ तक की वह खिसियाती हैं
जब कुत्ता चूसता है उसका ‘पैसिफियों’1बच्चों के चूसने का रबड़।।
ख़त
दूध में तुम्हारी रोटी की डुबकी ठीक है,
अपने दंतविहीन मसूड़ों के लिए बनाओ उसे मुलायम
तुम डाकिए की पदचाप सुनते हो जैसे
बेटे का तनिक समाचार पाने के लिए
एक वर्ष से अधिक नहीं देखा है जिसे तुमने
देखो कि दुपहर कैसे बैठती है
एक बेंच पर
और देखती है
नींद से रहित तुम्हारे घर को
सैकड़ों मील दूर,
रिओ ग्रांड2उत्तरी अमेरिका की एक नदी। उमड़ती है
और उसे तुम्हारे जीने या मरने की परवाह नहीं है
तो टोटलेट3मैक्सिकन कॉर्नमील या आटे का एक पतला, सपाट पैनकेक। बनाओ या अपने आपको नष्ट होने दो
तड़प के साथ ख़ुद को फेंक दो चाकू पर
काटती है जो पलों को, छोटी शाश्वतता में
अगली बार जब लगेगी तुम्हें प्यास
पीओगे तुम उसकी फुसफुसाहट।
सही बुद्धि
कुत्ते को अपने क़रीब बिठा
गंदे बर्तन को रखूँगा अपने क़रीब
सलाद
सड़ चुका है जो
उसका
शोरबे में उपयोग का
इरादा नहीं रखता मैं कोई
आप महँगे पर्दे रखते हैं
और रहते हैं
आधी गर्मियों प्रेमरत
उन लोगों के प्रति,
जिन्होंने दिलाई हमें हमारी याद
तब तक, थके हुए थे हम
अब नहीं करते हमारे हाथ
अपव्यय का अधिक स्पर्श
बन जाएँगे कभी जो हम।
मेरे जीवन का प्रेम
कितना मुश्किल है—
माँ के रूप में
मेरे बिस्तर में प्रवेश करना
नवजात हूँ मैं एक
पालो मुझे
एक परित्यक्त
मेमना हूँ मैं
कमज़ोर शिशु एक
निकला है जो हाल ही में अपने अंडे से
टहनी टूट गई है
दो हिस्सों में
पीटते हुए
एक बिगड़ैल बच्चे को
याद कर रहा हूँ
सब मैं
बनो मेरी माँ और
दुलार करो
सुलाने के लिए
मेरे दिल के कान में बच्चों-सी बातें करो
घुमाओ अपना हाथ
मेरे सिर पर
तुम मेरे प्रेमी नहीं हो
आज रात
पति नहीं हूँ
आज रात मैं तुम्हारा
आज रात मैं पुत्र हूँ तुम्हारा लापता हुआ
हो तुम दूध—
मेरे होंठों के किनारे लगा हुआ।
बाड़
पहुँचने के लिए यहाँ
बढ़ाए होंगे तुमने ज़रूर कुछ क़दम
छूने के लिए इसे
पीछे तुम्हारी ओर इसे करने के लिए
तुम्हारे पास क्या होना है ज़रूरी
तुम्हारी छाया कितनी वजनी है
एल साल्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास
इस इस्पात को करो अपने हाथों के नीचे
महसूस
छुई थी अपने पति की पीठ जैसे
आख़िरी बार
देखो, यह इतना विशाल नहीं है
जितनी की थी कल्पना तुमने
तुमने अनुमान लगाया था कि माप लोगे इसे अपने पाँवों से तुम
चढ़ते रहना होगा इस पर
अपनी मृत्यु पश्चात भी
मगर बहुत छोटा-सा है यह
तिरछी दृष्टि से
दूर से देखो इसे
एक जैकरैबिट कूद सकता है
आसानी से इस पर
देखो उठा सकते हो
कैसे इसे तुम अपनी उँगलियों से
और हटा सकते हो अपने रास्ते से इसे
इतना छोटा
उस देश की तरह
लेटा हुआ है जो सामने आपके
और तुम इतनी अच्छी तरह जानते हो
वे रखते हैं
क़ब्ज़े को दूर
तुम यहाँ हो, इतने क़रीब
छुओ इसे
इसकी खुली हुई पसलियों के बीच अपने हाथों को बढ़ाओ।
***
ओक्टावियो क्विंटानिला का जन्म 1983 में हार्लीज़न, टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। साल 2014 में उनका पहला संग्रह ‘इफ़ आई गो मिसिंग’ (अगर मैं हो जाऊँ लापता) स्लॉथ प्रेस से प्रकाशित हुआ। उनकी कविताएँ, साक्षात्कार, अनुवाद और चित्र विश्व की कई प्रसिद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। फ़ोटोग्राफी में भी उनकी गहरी रुचि है। उन्होंने नॉर्थ टेक्सास विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की। वर्तमान में वह टेक्सास बुक्स इन रिव्यू के क्षेत्रीय संपादक हैं और टेक्सास के सैन एंटोनियो स्थित लेक यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग पढ़ाते हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए स्वयं कवि द्वारा चुनकर अनुवादक को भेजी गई हैं। यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के 21वें अंक में पूर्व-प्रकाशित। विपिन चौधरी सुपरिचित लेखिका-अनुवादक हैं। उनसे vipin.choudhary7@gmail.com पर बात की जा सकती है। ‘सदानीरा’ पर इससे पूर्व-प्रकाशित उनके अनुवाद-कार्य के लिए यहाँ देखें : पूर्वकालीन और नवीन अफ़्रीकी स्त्री-कविता का संसार │ तुम… मेरा एकमात्र मज़हब │ बस कुछ देर और │ ‘मेरा संघर्ष हमेशा शुद्धता के लिए रहा है’ │ मैं पानी और आग नहीं बनना चाहती