गालाक्तियोन ताबीद्ज़े की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रीनू तलवाड़ और प्रचण्ड प्रवीर

गालाक्तियोन ताबीद्ज़े │ तस्वीर सौजन्य : archive.gov.ge

झंझावात

झंझावात, झंझावात, झंझावात!
उड़ती बिखरी पत्तियाँ, हवा में गुम
झुक रहे कुंज, पेड़ों की क़तार
कहाँ हो तुम, कहाँ हो तुम, कहाँ हो तुम?

कैसी बारिश, कैसी बर्फ़, कितनी बर्फ़,
कहाँ ढूँढ़ें? कहाँ ढूँढ़ें? नहीं पता!
पीछा करती, पीछा करती, तुम्हारी छवि
हर घड़ी, हर तरफ़, हर जगह!
सुदूर गगन, धुंध भरा, बरसाता याद
झंझावात, झंझावात, झंझावात!

प्यार के बिना

प्यार के बिना
सूरज भी नभ पर नहीं करता राज
नहीं बहती बयार, नहीं झूमते वन
ख़ुशी से…
प्यार के बिना नहीं होती
सुंदरता
न ही अमरता होती है
प्यार के बिना
पर अंतिम प्यार होता है
अनूठा
पतझड़ के फूल-सा
अक्सर पहले प्यार से अच्छा
यह नहीं देता न्योता
आवारा आँधी-से
उन्मादों को
लड़कपन की सनक को, बहके बोल को
नहीं देता न्योता
और पतझड़ की ठंड में
खुले में खिलता
यह वसंत के कोमल फूलों-सा
बिल्कुल नहीं दिखता…
बल्कि मंद हवा के बदले आँधियाँ
दुलारती हैं इसे
और आवेग की जगह मूक स्नेह
घेरे रहता है इसे
और मुरझाता है, मुरझाता है प्यार
अंत में
मुरझा जाता है दु:ख से, कोमलता से,
मगर बिना किसी ख़ुशी के
और पूरे ब्रह्मांड में नहीं है ऐसी कोई
अमरता,
चूँकि अमरता भी नहीं होती
प्यार के बिना!


गालाक्तियोन ताबीद्ज़े उर्फ़ गालाक्तियोनी (1892-1959) बीसवीं सदी के जॉर्जियन कवि हैं। उनके लेखन ने उनके बाद आने वाले कवियों को बेहद प्रभावित किया। जोसेफ़ स्टालिन के 1930 के दशक के शुद्धिकरण से वह बच निकले; जबकि उनके समकालीन लेखक, मित्र और परिवारजन उसकी चपेट में आ गए। इसके बावजूद सोवियत अधिकारियों ने उन पर दबाव डालना नहीं छोड़ा। इन परिस्थितियों की वजह से वह गहरे अवसाद में डूब गए और अत्यधिक मदिरापान करने लगे। उन्हें तब्लीसी के साइकिएट्रिक अस्पताल में भर्ती किया गया, जहाँ उन्होंने ख़ुदकुशी कर ली। जॉर्जिया में लोग उन्हें कवि-सम्राट कहकर याद करते हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ मूल जॉर्जियन से इंनेस मेराबिश्वली कृत अँग्रेज़ी अनुवाद पर आधृत हैं। रीनू तलवाड़ और प्रचण्ड प्रवीर से परिचय के लिए यहाँ देखें : क्योंकि वह काग़ज़ का बना था

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