दुन्या मिखाइल की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया
प्लास्टिक मृत्यु
बचपन में हम
बग़दाद में
प्लास्टिक के हथियारों से
मौत का खेल खेलते थे
हम पड़े रहते थे फ़र्श पर
लाश की तरह अविचल
एक-दो मिनट के लिए
फिर हँस पड़ता हममें से कोई
और उजागर हो जाती
हमारी प्लास्टिक मृत्यु
हम एक-दूसरे को यूँ थामते
जैसे मरणासन्न व्यक्ति जीवन को
और फिर खेलने लगते अगला खेल
कितने साल गुज़र गए
और निर्वासन में
धूमिल होता जा रहा
हमारे बचपन का बग़दाद
बहुत दूर से
हम देखते हैं
बच्चों को जो दिखते हैं
ठीक वैसे, जैसे हम दिखते थे
वे भी मारते हैं
एक-दूसरे को
पड़े रहते हैं फ़र्श पर अविचल
पर हँसता नहीं
उनमें से कोई
जीवित नहीं रहता
उठकर खड़ा नहीं हो जाता।
टैबलेट्स
वह स्त्री
जिसके गीतों का
न आग़ाज़ था
न अंत
वह जिसकी आवाज़
खो गई सितारों और चंद्रमाओं में
कहाँ है वह?
कहाँ है वह?
●●●
जब वे लौटेंगे
उनके पाँवों में नहीं आएँगे
जूते
जो रखे हैं
दरवाज़े के पास।
●●●
मत पूछो
कि कितने घर बनाए गए
पूछो कि कितने बाशिंदे
बचे रह गए घरों में।
●●●
सपने दो तरह के होते हैं :
लंबवत और क्षैतिज
मुझे बताओ कि कैसी है
तुम्हारे सपनों की आकृति
और मैं तुम्हें बताऊँगी
कहाँ से आए हो तुम।
●●●
मैं पैदा हुई
मैं कविताएँ लिखती हूँ
मैं मर जाऊँगी।
दुन्या मिखाइल इराक़ में पैदा हुई कवयित्री हैं। वह लंबे समय से अमेरिका में रह रही हैं। वह अब अमेरिकी नागरिक भी हैं। उनके कविता-संकलन चर्चित रहे हैं और उन्हें कुछ प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले हैं। हिंदी सहित संसार की कई भाषाओं में उनकी कविताओं का अनुवाद समय-समय पर होता रहा है। राहुल तोमर के अनुवाद में ‘सदानीरा’ पर दुन्या मिखाइल की कविताएँ पहले भी प्रकाशित हुई हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ कवयित्री की अनुमति से उनके कविता-संग्रह In her feminine sign से हिंदी अनुवाद के लिए ली गई हैं। देवेश पथ सारिया से परिचय के लिए यहाँ देखें : एक काली रात में बरसात गिरती है
बहुत सुन्दर कविताएं और अनुवाद देवेश जी