तू-फ़ू की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया

तस्वीर : देवेश पथ सारिया

ली केव-निन को नदी किनारे मिलना

मैं अक्सर मिलता था तुमसे
जब तुम राजकुमारों से मिलने आते थे
या जब तुम दरबारियों के कमरे में खेल रहे होते थे
वसंत ऋतु गई है बीत…
बहुत दूर नदी किनारे
मैं तुम्हें अकेला पाता हूँ
गिरती हुई कलियों के साथ

एक चाँदनी रात

सुदूर फू-चो में
अपने कक्ष की खिड़की से अकेले
वह चाँदनी को देख रही है

हमारे बेचारे छोटे बच्चे
नहीं जानते राजधानी का पता

ओस से भीगे हुए हैं उसके बादलों जैसे बाल
सफ़ेद जेड जैसे उसके कंधे ठंडे हैं इस चाँदनी रात
…वह दुबारा कब सो पाएगी आँसुओं के बिना
इस रोशनी को निहारती हुई?

वसंत का एक दृश्य

एक देश के टूटने पर सहते हैं पहाड़ और नदियाँ;
वसंत पुनः ले आता है हरीतिमा पत्तियों और घास पर
जहाँ आँसू की बूँदों की तरह गिरती हैं पत्तियाँ
और अकेले पक्षी गाते हैं अपना दुःख
…तीन महीने युद्ध की आग के बाद
घर से आया एक संदेश सोने के ढेर जैसा है
…मैं अपने सफ़ेद बाल नोचता हूँ
जो इतने पतले हो गए हैं
कि इनमें अब हेयर पिन नहीं लग पाती

महल के बाएँ दरबार में रात्रि जागरण

फूलों पर छाया है, महल में अँधेरा हुआ जाता है
पंछी बसेरे की तलाश में चहचहाते हैं
टिमटिम करती हैं स्वर्ग की दस हज़ार खिड़कियाँ
और नौ छतों पर झिलमिलाती है चाँदनी
…मैं सोने के ताले के खुलने का इंतज़ार करता हूँ
मुझे जेड के पेन्डेंट हवा में खनखनाते सुनाई देते हैं
सुबह मुझे दायर करनी है एक याचिका
पूरी रात मैं पूछता हूँ, वक़्त क्या हुआ है

आसमान के सिरे पर ली पो के लिए

दूर आकाश से सर्द झोंका आता है
तुम क्या सोच रहे हो, पुराने मित्र?
जंगली गूज़ पक्षी कभी मुझे जवाब नहीं देते

बारिश से नदियाँ और झीलें लबालब भर गई हैं
एक कवि को समृद्धि से बचना चाहिए
फिर भी शैतान घुमंतू को भयभीत कर सकता है

एक दुखी भूत पर कविता फेंककर उससे पूछो
कि वो मि-लो नदी में किस जगह डूबा था

जनरल येन को फेंग-ची स्टेशन पर अलविदा

इस बैंगनी पर्वत की तलहटी से जाते हुए
यहाँ छोड़ देगा तुम्हें तुम्हारा कॉमरेड

मैं सोचता हूँ,
हम फिर कब प्याला उठाएँगे
और चाँदनी में घूमेंगे
जैसा हमने बीती रात किया था

अलविदा बुदबुदा रहा है यह इलाक़ा
उसके लिए जिसका नाम था तीन राज्यों में
और मैं जाता हूँ नदी के पास अपने गाँव
अंतिम एकांत के लिए

मंत्री फैंग की क़ब्र से लौटते हुए

दूर इस जगह से लौटते हुए
मैं तुम्हारी सूनी क़ब्र के पास घोड़े से उतरता हूँ
मेरे खड़े होने की जगह मेरे आँसुओं से गीली है
बादल के टुकड़ों से काला है आकाश
मैं जो इस महान मंत्री के साथ शतरंज खेला करता था
आज ख़ंजर लेकर आया हूँ, जैसा चाहा था मेरे स्वामी ने
पर मैं सिर्फ़ गिरती हुई कलियाँ पाता हूँ
सिर्फ़ लिनेट पंछी मुझे जवाब देते हैं


तू-फ़ू तांग राजवंश के शासनकाल (618-907) के दौरान हुए कवि हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए वर्ष 1929 में प्रकाशित पुस्तक ‘द जेड माउंटेन ए चायनीज़ एन्थोलॉजी’ से ली गई हैं। इन कविताओं का मूल चीनी से अँग्रेज़ी अनुवाद विटर बायनर ने किया है। इसके लिए उन्होंने किआंग कांग-हु द्वारा उपलब्ध कराई गई दस्तावेज़ों का उपयोग किया है। देवेश पथ सारिया हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : कल आने वाले दुःख को भूलकर

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