फ़र्नांदो पेसोआ की डायरी ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : आसित आदित्य

फ़र्नांदो पेसोआ

मेरा जीवन : एक त्रासदी, जिसे देवताओं द्वारा अंतिम अंक के बाद ही मंच से धिक्कार कर उतार दिया गया।

मेरा दोस्त : कोई नहीं… बस कुछ परिचित; जो सोचते हैं कि उनकी मुझसे बनती है, और शायद उन्हें दुःख होगा अगर मैं ट्रेन से कुचल दिया जाऊँ या मेरे अंतिम संस्कार के दिन बारिश हो जाए।

जीवन से मेरी निर्लिप्तता का स्वाभाविक पुरस्कार एक अक्षमता रही है—जिसे मैंने दूसरों में पैदा किया है—मुझसे सहानुभूति रखने की। मेरे चारों ओर ठंडक की एक आभा है, बर्फ़ का एक प्रभामंडल जो दूसरों को मुझसे विकर्षित करता है। मैं अभी भी अपने अकेलेपन के दर्द को महसूस न करने में कामयाब नहीं हो पाया हूँ। आत्मा की उस विशिष्टता को प्राप्त करना बहुत मुश्किल है, जो अलगाव को सभी पीड़ाओं से मुक्त शांति का आश्रय प्रतीत कराती है।

मैंने कभी भी मुझे प्रदर्शित की गई दोस्ती पर विश्वास नहीं किया; जैसे कि मैं उनके प्यार पर विश्वास नहीं करता, जो वैसे भी असंभव था। मेरी पीड़ा का तरीक़ा इतना जटिल और सूक्ष्म है कि मुझे उन लोगों के बारे में कोई भ्रम नहीं था; जो ख़ुद को मेरा दोस्त कहते थे, फिर भी मैं उनसे मोहभंग महसूस करने में कामयाब रहा।

मुझे एक पल के लिए भी संदेह नहीं था कि वे सब मुझे धोखा देंगे, फिर भी जब वे ऐसा करते तो मैं हमेशा चौंक जाता था। यहाँ तक कि जब जिसके होने की मैं उम्मीद कर रहा था वही हुआ, मेरे लिए वह हमेशा अप्रत्याशित था।

मैंने कभी अपने भीतर ऐसे गुण नहीं पाए जो किसी अन्य व्यक्ति के लिए आकर्षक हो सकते थे, इसलिए मैं कभी विश्वास नहीं कर सका कि कोई भी मेरी ओर आकर्षित हो सकता है। इसे मूर्खतापूर्ण विनम्रता की सोची-समझी राय के रूप में ख़ारिज किया जा सकता था, अगर एक के बाद एक तथ्य—वे अप्रत्याशित तथ्य जिनकी मैंने आत्मविश्वास से उम्मीद की थी—ने हमेशा इसे सही साबित न किया होता।

मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि वे मुझ पर दया करेंगे; क्योंकि मैं शारीरिक रूप से अजीब और अस्वीकार्य हूँ, लेकिन मुझमें वह दर्द नहीं है; जो मुझे दूसरों की सहानुभूति का संभावित उम्मीदवार बनाता, न ही वह सहानुभूति जो इसे आकर्षित करती भले ही स्पष्ट रूप से इसके योग्य न हो; और मेरे अंदर जिस गुण की दया की जा सकती है, उसके लिए कोई दया नहीं हो सकती, क्योंकि आध्यात्मिक विकलांगता के लिए कोई दया नहीं है। इसलिए मैं दूसरों के तिरस्कार के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में खींचा गया, जहाँ मेरे लिए किसी की सहानुभूति आकर्षित करने की संभावना नहीं है। मैंने अपना पूरा जीवन इसे अपनाने की कोशिश में बिताया है—बिना इसकी क्रूरता और नीचता को बहुत गहराई से महसूस किए।

एक व्यक्ति को यह निर्भीकता से स्वीकार करने के लिए एक निश्चित बौद्धिक साहस की आवश्यकता होती है कि वह मानवता के एक टुकड़े से अधिक नहीं है, एक जीवित गर्भपात, एक पागल जो अभी तक इतना पागल नहीं हुआ है कि उसे बंद कर दिया जाए, लेकिन यह पहचानने के बाद, किसी को अपने भाग्य के साथ पूरी तरह से ढलने के लिए और भी अधिक आध्यात्मिक साहस की आवश्यकता होती है, बिना विद्रोह के, बिना इस्तीफ़े के, बिना किसी इशारे या विरोध के इशारे के प्रयास के, प्रकृति ने उस पर जो मौलिक अभिशाप डाला है। बिल्कुल भी दर्द महसूस न करना बहुत अधिक चाहना है, क्योंकि मानव-स्वभाव में बुराई को स्वीकार करना, उसे पहचानना कि वह क्या है और उसे अच्छा कहना नहीं है; और अगर आप इसे बुराई के रूप में स्वीकार करते हैं तो आप पीड़ित हुए बिना नहीं रह सकते।

मेरा दुर्भाग्य—मेरी अपनी ख़ुशी के लिए एक दुर्भाग्य—ख़ुद को बाहर से कल्पना करने में निहित है। मैंने ख़ुद को वैसे देखा जैसे दूसरे मुझे देखते थे और मैंने अपने आपसे नफ़रत करना शुरू कर दिया, इसलिए नहीं कि मैंने ख़ुद में तिरस्कार योग्य गुणों को पहचाना, बल्कि इसलिए कि मैंने ख़ुद को वैसे देखा जैसे दूसरे मुझे देखते थे और उस तरह के तिरस्कार को महसूस किया जो वे मेरे लिए महसूस करते। मैंने अपने आपको जानने का अपमान भोगा। चूँकि यह एक कलवारी1ईसा का बलिदान-स्थल। थी जिसमें हर प्रकार की महानता की कमी थी और कुछ दिनों बाद पुनरुत्थान नहीं होना था, इसलिए मैं केवल इसकी तुच्छता से पीड़ित हो सकता था।

मैंने तब समझा कि केवल सौंदर्यबोध से रहित कोई व्यक्ति ही मुझसे प्यार कर सकता है और अगर वे करते तो मैं इसके लिए उनसे नफ़रत करता। मुझे पसंद करना भी किसी और की उदासीनता से पैदा हुई सनक से ज़्यादा कुछ नहीं हो सकता है।

ख़ुद में स्पष्ट देखना और इसमें कि अन्य हमें कैसे देखते हैं! इस सत्य को आमने-सामने से देखना! यहीं से सलीब पर मसीह की अंतिम पुकार आती है जब उन्होंने, आमने-सामने, अपनी सचाई देखी : मेरे भगवान्, मेरे भगवान्, तुमने मुझे क्यों छोड़ दिया?


फर्नांदो पेसोआ [1888-1935] संसारप्रसिद्ध पुर्तगाली कवि-लेखक हैं। उन्होंने अल्बर्तो काइरो, अलवारो डी कैम्पोस, रिकार्दो रीस, बर्नार्दो सोरेस आदि सत्तर से ज्‍़यादा उपनामों से लेखन संभव किया। यहाँ प्रस्तुत उनके डायरी-अंश उनकी बहुचर्चित पुस्तक The Book of Disquiet से चुने गए हैं। आसित आदित्य से परिचय के लिए यहाँ देखिए : प्रत्येक व्यक्ति की अपनी मूर्खता है, लेकिन सबसे बड़ी मूर्खता है—मूर्खता का न होना

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