नज़्म ::
तसनीफ़ हैदर

तसनीफ़ हैदर

साँवल सम

रात की तख़्ती पे लिक्खा चाँद ने जो नूर
वो बना इस शहर का चाँदी-नुमा दस्तूर

पीतल पीतल ठंड बिखेरने वाली लड़की बालकनी में खड़ी हुई है
ज़ुल्फ़ें उसकी हवा की ज़द पर नाच रही हैं, वो उलझी है
एक हिसाब में जिसका हासिल शायद फिर से उदासी होगा
रेलिंग पर वो हाथ टिकाए कश भरती है ख़यालों वाले
ख़बरों से ख़ाली ख़ामोशी में बाज़ू तिम्सालों वाले
बाप से घर, घर से दफ़्तर, दफ़्तर से इक महबूबी साया
सुंदर, सजल उठा-बैठक, हाथमपाई का दिल माँ जाया
लड़की सुतवाँ, कमर कशीदा, हाथों में महराब झरोके
कान कमंदी, गाल दामीदा, पलकों पर ख़्वाबों के झोंके
सहराई तन्हाई में इक खिड़की जैसे बल्ब-आमेज़ा
उसका सीना संदल सूरत, हुस्न-ए-नुमायाँ क़ल्ब-आमेज़ा

शह्र की हू-हुल्लड़ों में ख़ून, कितना ख़ून है
दर्द, ना-इंसाफ़ियाँ, जंगें, तबाही और भूक
सबके सब अंधे, गुरुसना, लालची और बद-ख़िसाल
आग उगलते टेली-वीज़न पर खड़ा जैसा दजाल
बे-ज़मीरों के लिए जन्नत है बाएँ हाथ में
और जहन्नम सोचने वालों की दाएँ हाथ में
शोर, पुर-आसेब, नंगा शोर जैसे इक हियोला
बम की गूँजें और ज़ॉम्बी नफ़रती भूतों का टोला
लाश के टुकड़ों को बाँछों में दबा कर नाचता है
इक बिलकती मौत पर सौ पीले झक्कड़ झाड़ता है
हँस रहा है ये हुजूमी ख़ौफ़ अपने दायरे में
इक चचा-सामी से चीनी और फिर रूसी रख़े में

और वो लड़की
कितनी ख़ामोशी के साँचों में भरेगी अपनी साँसें
इस अकेले शहर में आख़िर करेगी किससे बातें

साँस जैसे कोई तपिश का पट
साँस जैसे कोई दबी करवट
साँस जैसे उदासियों का बहाव
साँस जैसे कोई ख़याली पुलाव
साँस जैसे कोई करिश्माना
साँस जैसे हवाई पैमाना
साँस जैसे कोई गुलाब का फूल
साँस जैसे किसी ख़ुदा का नुज़ूल
साँस जैसे सुकून का मौसम
साँस उसको कहूँ कि साँवल सम

इक गागर से उछले क़तरों के बीच में जितना फ़ासला होगा
वो हुस्न उसी में रहता होगा और उसी को पीता होगा
क्या उन होंठों के ऊदे फूलों से दुनिया गुलज़ार बनेगी
क्या इक बोसे में आह की शोरिश, सन्नाई त्यौहार बनेगी
क्या उन अबनूसी बग़लों से ख़ुशबू के धारे फूट बहेंगे
क्या बम बंदूक़ के शैतानों के हाथ से फ़ित्ने छूट रहेंगे

फिर क्या होगा जब दुनिया पूरी साँवल सम हो जाएगी
जब इक लड़की सूरत की तरह हर चीज़ पे दम हो जाएगी
तब रक़्स उजालों और अँधेरों की महफ़िल का रूल बनेगा
हथियारों को पिघलाया जाएगा उनसे फूल बनेगा
फूल जो उस लड़की के दिल को जीतने वाले हाथ में होगा
सोचो इतनी सुंदरता में कौन फिर उसके साथ में होगा
जब सैर-शिकम रौशन दुनिया पर साँवल लड़की राज करेगी
क़रिया क़रिया फ़ित्नों को वो पाँव तले ताराज करेगी

तब वो साँवल सम अंगड़ाई लेगी
घूँट भरेगी
मेरा हाथ उसके कंधे पर धीरे-धीरे रेंग रहेगा
रानों की खुलती शाख़ों में उफ़ का पंछी रंग भरेगा
‘ओह्ह’ के इक आवाज़ से जैसे सारा जंगल जाग उठेगा
शेर बढ़ेंगे और मेरी नाभि की गुफा में जा बैठेंगे
धीरे-धीरे उन पिस्तानों के सौ हाथी चिंघाड़ेंगे
मिनक़ारों की डाल पे पंछी शाम ढले इतना गाएँगे
चारों हाथ अबाबीलों के हमले को भी शरमाएँगे
नाम उछलेंगे और हवा की तारीकी में घुल जाएँगे
ज़ख़्म बनेंगे पीठ पे लेकिन थोड़ी देर में धुल जाएँगे
दुनिया के सारे मौसम ठंडे, रेशम वाले होंगे
आशिक़ ख़म वाले होंगे या साँवल सम वाले होंगे


तसनीफ़ हैदर से और परिचय के लिए यहाँ देखिए :  तसनीफ़ हैदर

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