ग़ज़ल :: कुर्रतुल-ऐन-ताहिरा अनुवाद और प्रस्तुति : सदफ़ नाज़
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आजादी, जिसे मैंने कभी देखा ही नहीं
एक किताब, एक कवि और चार कविताएं :: अनुवाद और प्रस्तुति : अशोक पांडे
कविता विस्तार है और वह घाव छोड़ जाती है
आलेहांद्रा पिज़ारनीक की कविताएं :: अनुवाद : रीनू तलवाड़
निहारे जाने का मतलब है उपभोग किया जाना
मार्गरेट एटवुड के उपन्यास ‘द हैंडमेड्स टेल’ का एक अंश :: अनुवाद और प्रस्तुति : यादवेंद्र
मेरी निर्भरता
कवितावार में रवींद्रनाथ टैगोर की कविता :: अनुवाद : सरिता शर्मा
निभृत प्राणों के देवता
‘गीतांजलि’ पर :: शंख घोष बांग्ला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी