कविताएँ :: हिमांशु जमदग्नि
Posts tagged लोक
मैं उस जगह पर मरना नहीं चाहता था जहाँ लोग जीते जी मर रहे थे
कविताएँ :: यशवंत कुमार
प्यास से जन्मी ‘मैं’ का पहला और अंतिम स्वप्न पानी था
कविताएँ :: प्राची
हारे हुए लोग बचाएँगे हारे हुए लोगों को
कविताएँ :: महिमा कुशवाहा
कहाँ हैं दोस्त साथी कॉमरेड सब जिनकी गोद में सिर रख बिलख लूँ
कविताएँ :: मृत्युंजय
वहाँ कभी नहीं जाना चाहिए, जहाँ से जाते हुए तकलीफ़ न हो
एकाग्र :: राही डूमरचीर कविताएँ | कथाएँ | तस्वीरें | अनुवाद