संदीप शिवाजीराव जगदाले की कविता :: मराठी से अनुवाद : गणेश विसपुते
Posts tagged लोक
बहुत बातें पता चलते-चलते चलती हैं
कविताएँ :: रमाशंकर सिंह
ज़िंदा रहने के लिए
कविताएँ :: नरगिस फ़ातिमा
समय में समय की कथा लिखने की इच्छा धारे हूँ
कविताएँ :: प्रकाश
देह की संवेदनाएँ मुझे एक-एक कर चिढ़ाती हैं
कविताएँ और तस्वीरें :: शोभा प्रभाकर
मैं अपनी लटों से उसका कफ़न सिलूँगी
कुछ लांदेज :: अँग्रेज़ी से अनुवाद और प्रस्तुति : नीता पोरवाल